नयी दिल्ली, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान व्यवधानों को लेकर विपक्ष पर हमला करते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार लोकसभा से सदस्यों के निलंबन की इच्छुक नहीं थी, लेकिन कुछ विपक्षी सदस्यों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई के बाद उनके कुछ साथियों ने खुद को भी निलंबित करने का अनुरोध किया।
जोशी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि विपक्ष को संसद में पारित तीनों नये आपराधिक कानूनों के खिलाफ कोई शिकायत है तो वह अदालत में जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
जोशी के साथ संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी थे।
जोशी ने कहा, ‘‘हम सांसदों को निलंबित नहीं करना चाहते थे, हमने उनसे अनुरोध किया था। लेकिन जब हमने कुछ सदस्यों को निलंबित कर दिया तो उनके कई सहयोगी निलंबन की मांग करने लगे। कांग्रेस का स्तर इतना नीचे गिर गया है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से विपक्षी सांसदों से कहा गया था कि सदन में तख्तियां दिखाकर अनुशासनहीनता में संलिप्त रहने वाले सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने हमसे कहा कि वे अनुशासनहीनता करते रहेंगे और चाहते हैं कि हम उन्हें निलंबित कर दें।’’
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा के 100 और राज्यसभा के 46 सदस्यों को सदन की अवमानना के मामले में निलंबित किया गया।
जोशी ने संवाददाताओं से कहा कि बृहस्पतिवार को समाप्त हुआ संसद का शीतकालीन सत्र एक तरह से 17वीं लोकसभा का अंतिम सत्र था क्योंकि आगामी सत्र में लेखानुदान पारित किया जाएगा और इसमें अन्य कोई विधायी कामकाज होने की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा का पहला सत्र ऐतिहासिक था क्योंकि इसमें जम्मू कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त किया गया। इसी तरह कल समाप्त हुए शीतकालीन सत्र में आपराधिक न्याय प्रणाली से ब्रिटिश शासन के निशान समाप्त कर दिए गए।
जोशी ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह एक संवैधानिक पदाधिकारी की नकल उतार रहे एक लोकसभा सदस्य के कृत्य की वीडियोग्राफी कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में हार की हताशा से बचने के लिए संसद की कार्यवाही बाधित करने का बहाना खोज रहे थे।