संतरा एक ऐसा फल है जो देश भर में सर्वत्रा सुलभ रहता है और ज्यादा महंगा भी नहीं होता। संतरे का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। संतरे को नारंगी भी कहते हैं। इसका उपयोग सामान्यतः रस पीने में किया जाता है। यह प्यास का शमन करने और शरीर में तरावट लाने वाला फल है। उपवास के समय इसका रस पीना श्रेष्ठ रहता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग घरेलू इलाज के रूप में भी किया जाता है।
गुण
यह खट्टा और मीठा दो प्रकार का होता है। मीठा संतरा तरावट देने वाला, प्यास बुझाने वाला, शीतल और रूचिदायक होता है। यह कफकारक, कुछ दस्तावर, वातनाशक, अम्लकारक, भूख बढ़ाने वाला, बलवर्द्धक, पचने में भारी और हृदय के लिए हितकारी होता है। ज्वर की अवस्था में इसका उपयोग लाभप्रद होता है। इसमें विटामिन ए और बी साधारण मात्रा में और विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
घरेलू इलाज ज्वर
संतरे का रस ज्वर के रोगी को देने से उसे शांति व शक्ति मिलती है और मुंह सूखने व प्यास लगने की शिकायत में कमी आती है। शरीर में खुश्की व गर्मी बढ़ने नहीं पाती। इसे दिन में बार-बार पिला सकते हैं। इससे मल-मूत्रा विसर्जन में कठिनाई नहीं होती और पेशाब में जलन नहीं होती।
पायरिया
संतरे का रस प्रतिदिन पीने और इसके छिलकों के चूर्ण को दंत मंजन में मिलाकर मसूड़ों पर लगा कर मलने से इस रोग में लाभ होता है।
त्वचा रोग
दाद, खाज-खुजली और फुंसी होने पर संतरे का रस पीने और ताजे छिलकों को त्वचा पर रगड़ने से लाभ होता है।
पेट के कृमि
संतरे के ताजे छिलकों को 4 कप पानी में डालकर उबालें। जब एक कप शेष बचे, तब उतार कर छान लें और इसमें एक माशा हींग घोल दें। इस पानी को 1-1 चम्मच सुबह, दोपहर और शाम को पिलाने से बच्चों के पेट के कृमि नष्ट हो जाते हैं।
मुंहासे
संतरे के ताजे छिलके और चिरौंजी को कूटपीस कर लेप बना लें। इस लेप को सोते समय चेहरे पर लगाने और सूखने पर पोंछकर सुबह धोने से मुंहासे ठीक होते हैं और त्वचा का रंग निखरता है।
गर्भकाल
गर्भवती स्त्रा पूरे गर्भकाल में संतरे के रस का प्रयोग करे तो गर्भस्थ शिशु स्वस्थ, सुडौल और सुंदर त्वचा वाला होता है। गर्भवती को अतिसार होने पर संतरे का रस देना बहुत उपयोगी होता है।
जी मिचलाना
संतरे की कलियां चूसने से जी मिचलाना बंद होता है। उल्टी के समय संतरे की कलियां चूसना लाभप्रद है।
शिशु स्वास्थ्य
छोटे बच्चों को मीठे संतरे का रस थोड़ी-थोड़ी मात्रा में प्रतिदिन पिलाने से उनका शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है, रक्त शुद्ध रहता है, त्वचा उजली और स्वस्थ रहती है। हड्डियां मजबूत और शरीर बलवान बनता है। उसका विकास अच्छी तरह से होता है।