इमरान सरकार गिराने में US का हाथ होने का दावा:लीक डॉक्यूमेंट के मुताबिक- खान के रूस दौरे से नाराज थी बाइडेन सरकार

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एक अमेरिकी मीडिया हाउस ने लीक डॉक्यूमेंट के हवाले से दावा किया है कि अप्रैल 2022 में इमरान खान की सरकार अमेरिकी दबाव के चलते गिराई गई थी। इमरान खुद भी सरकार गिरने के बाद कई रैलियों में यह आरोप लगाते रहे हैं कि उनकी सरकार को अमेरिका के इशारे पर पाकिस्तान की फौज ने गिराया था। हालांकि, वो खुद अब इस आरोप को वापस ले चुके हैं।

‘द इंटरसेप्ट’ अमेरिकी मैग्जीन है। उसने दावा किया है कि पिछले साल इमरान सरकार के खिलाफ जो अविश्वास प्रस्ताव या नो कॉन्फिडेंस मोशन लाया गया था, उसके पीछे जो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन की नाराजगी थी। इस नाराजगी की वजह खान का मॉस्को दौरा बताया गया है, जो उन्होंने 24 फरवरी 2022 को किया था। इसी दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था और यह जंग आज भी जारी है।

इमरान इस वक्त जेल में हैं और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

 

पाकिस्तान के एम्बेसेडर से मिले थे दो अमेरिकी अफसर

  • इस मामले की तह तक जाने के लिए सबसे पहले ‘साइफर गेट’ स्कैंडल को समझना होगा। दरअसल, कुर्सी गंवाने के बाद इमरान हर रैली में एक कागज लहराते थे। उनका आरोप था कि इस कागज में अमेरिकी साजिश का जिक्र है। खान के मुताबिक- यह लेटर या कागज उन्हें अमेरिका में पोस्टेड पाकिस्तानी एम्बेसैडर असद मजीद खान ने भेजा था। इसमें कहा गया है कि अमेरिकी सरकार इमरान खान से सख्त नाराज है, क्योंकि उन्होंने सस्ता क्रूड ऑयल खरीदने के लिए रूस जाकर प्रेसिडेंट व्लादिमिर पुतिन से मुलाकात की थी।
  • अब साइफर को भी समझ लीजिए। दरअसल, किसी देश में मौजूद एम्बेसैडर जब अपने देश को कोई सीक्रेट लेटर लिखता है तो उसे डिप्लोमैटिक नोट या साइफर कहा जाता है। आमतौर पर इसका रंग पिंक यानी गुलाबी होता है। खास बात ये भी है कि यह नेशनल सीक्रेट होता है और इसे किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर न तो दिखाया जा सकता और न इसके कंटेंट का जिक्र किया जा सकता।
  • रिपोर्ट के मुताबिक- 7 मार्च 2022 को अमेरिकी अफसरों ने वॉशिंगटन में उस वक्त के पाकिस्तानी एम्बेसैडर असद मजीद खान से मुलाकात की थी। इनमें से एक डोनाल्ड लू थे। इमरान भी कई बार लू का नाम ले चुके हैं।

बीजिंग में की थी रूस दौरे की प्लानिंग

  • इंटरसेप्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उसे यह कथित साइफर पाकिस्तानी फौज में अपने एक सोर्स से हासिल हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक- डोनाल्ड लू ने पाकिस्तानी एम्बेसैडर से कहा था कि अमेरिका और यूरोप के लोग यूक्रेन पर पाकिस्तानी रवैये से नाराज हैं। वो इस मामले पर न्यूट्रल कैसे रह सकता है। अगर इमरान के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन कामयाब हो जाता है तो अमेरिका पाकिस्तान को माफ कर सकता है। अमेरिका यह मानता है कि इमरान ने रूस का दौरा अपनी जिद की वजह से किया था।
  • रिपोर्ट के मुताबिक- लू ने पाकिस्तानी एम्बेसैडर से ये भी कहा था कि इमरान के रूस दौरे की प्लानिंग बीजिंग ओलिंपिक्स के दौरान हुई थी। इमरान की जब बीजिंग में पुतिन से मुलाकात नहीं हो सकी तो उन्होंने मॉस्को जाकर रूसी राष्ट्रपति से मुलाकात का फैसला किया।
  • रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पाकिस्तानी एम्बेसैडर ने डोनाल्ड लू को बताया था कि इमरान तो कई साल से रूस दौरे की प्लानिंग कर रहे थे और यूक्रेन पर हमले से इसका कोई ताल्लुक नहीं है। अमेरिका की इमरान के बारे में सोच गलत है और यह एक तरह से पाकिस्तान की सियासत में दखलंदाजी की कोशिश है।

अब इमरान का पक्ष जानिए

  • इमरान ने पिछले महीने BBC को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें उन्होंने रूस दौरे और इसके बाद अपनी सरकार गिरने से जुड़े सवाल का जवाब दिया था। खान ने कहा था- जब मैं रूस से पाकिस्तान लौटा तो उस वक्त के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा मेरे पास आए। उन्होंने मुझसे कहा कि आप यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करें और उसे गलत ठहराएं। मैंने बाजवा से कहा कि पाकिस्तान को किसी का फेवर नहीं करना चाहिए। हम न्यूट्रल रहेंगे।
  • सरकार गिरने के बाद भी इमरान ने कई रैलियों में साइफर लहराया और कहा- जनरल बाजवा ने अमेरिका से मिलकर साजिश रची और मेरी सरकार गिरा दी। अवाम बताए कि क्या हम किसी के गुलाम या नौकर हैं? पाकिस्तान आजाद मुल्क है और आजाद ही रहेगा।
  • दो महीने पहले इमरान ने अमेरिकी टीवी चैनल CBS न्यूज को इंटरव्यू दिया था। उनसे सरकार गिराने में अमेरिकी साजिश के बारे में सवाल हुआ। इस पर खान ने पुराने बयान से पलटी मारी और कहा- वो बात पुरानी हो चुकी है। मैं उसे भूल चुका हूं और आप भी भूल जाइए। अब अमेरिका को पाकिस्तान में डेमोक्रेसी की बहाली के लिए हमारी मदद करनी चाहिए। मेरी पार्टी के नेता अमेरिकी सांसदों से लगातार बातचीत कर रहे हैं।
  • इमरान जब प्रधानमंत्री थे, तब आजम खान उनके प्रिंसिपल या चीफ सेक्रेटरी थे। पिछले दिनों आजम ने एक बयान जारी किया था। इसमें कहा- खान का यह दावा झूठा और मुल्क के खिलाफ साजिश है कि उनकी सरकार को अमेरिका ने गिराया था।

साइफर के बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट

  • पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट रिजवान रजी ने कुछ महीने पहले ‘द डॉन’ अखबार में एक आर्टिकल लिखा था। रजी के मुताबिक- साइफर झूठ के सिवाए कुछ नहीं था। असद मजीद इमरान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य और इमरान के खास दोस्त थे। इमरान ने मजीद को एक मिशन सौंपा कि किसी तरह जो बाइडेन एक फोन इमरान को कर लें। यह हो न सका। फिर खान ने मजीद से कहा कि वो ये बताएं कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन इमरान सरकार और पाकिस्तान को लेकर क्या सोच रखती है। जवाब में मजीद ने एक बढ़ाचढ़ाकर इंटरनल मेमो लिखा। इसमें बताया कि व्हाइट हाउस को लगता है कि इमरान सरकार के रहते पाकिस्तान से रिश्ते बेहतर नहीं हो सकते।
  • पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी वकील और पॉलिटिकल एनालिस्ट साजिद तराड़ के मुताबिक- पहली बात तो यह कि यह ऑफिशियल कम्युनिकेशन नहीं था। यह एक एम्बैसेडर का अपने विदेश मंत्रालय को लिखा इंटरनल मेमो है, जिसकी कोई कानूनी या डिप्लोमैटिक हैसियत नहीं। दूसरी बात, अमेरिका को अब पाकिस्तान की कोई जरूरत नहीं है। अगर होती भी तो वो इमरान से मंजूरी क्यों मांगता? वो फौज से बात करता है और करता रहेगा। इसे आप इंटरनल मेमो, इंटरनल केबल, वायर या बहुत हुआ तो डिप्लोमैटिक नोट कह सकते हैं। ये तो बेहद आम चीज है।
  • पिछले दिनों पाकिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टीवी चैनल पर कहा- इमरान की पार्टी PTI ने साजिश के मनगढ़ंत आरोपों के लिए अमेरिका से माफी मांगी है। हमारे पास इस बात के सबूत हैं कि PTI ने अमेरिकी डिप्लोमैट डोनाल्ड लू से माफी मांगी है। खान पहले अपनी सभाओं में अमेरिका के खिलाफ नारे लगा रहे थे, अब गलतियों के लिए माफी मांग रहे हैं। खान ने अमेरिका को मैसेज भेज कर रिशते सुधारने की ख्वाहिश जाहिर की है।