जयराम रमेश ने बीआर आंबेडकर की बौद्ध धर्म में औपचारिक दीक्षा की वर्षगांठ पर उन्हें याद किया

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नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि 69 वर्ष पहले आज ही के दिन डॉ बी.आर. आंबेडकर और उनकी पत्नी सविता आंबेडकर को नागपुर में औपचारिक रूप से बौद्ध धर्म की दीक्षा दी गई थी और उसके बाद संविधान निर्माता ने करीब पांच लाख लोगों को खुद तैयार की गई 22 क्रांतिकारी शपथ दिलाई थीं।

कांग्रेस महासचिव रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यह भी बताया कि भारत ने 1956 में गौतम बुद्ध के जन्म की 2500वीं वर्षगांठ मनाई थी।

उन्होंने कहा कि 14 अक्टूबर 1956 को ही डॉ. आंबेडकर और उनकी पत्नी डॉ. सविता आंबेडकर को नागपुर में बर्मा के बौद्ध भिक्षु भिक्कू चंदीरमानी ने औपचारिक रूप से बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था।

रमेश ने कहा, ‘‘इसके बाद भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता ने लगभग पांच लाख लोगों को दीक्षा प्रदान की तथा उन्हें स्वयं द्वारा तैयार की गई 22 क्रांतिकारी शपथ भी दिलाईं। बाद में यह स्थान दीक्षाभूमि के रूप में जाना गया।’’

उन्होंने कहा, दो वर्ष पहले प्रकाशित अशोक गोपाल की जीवनी ‘ए पार्ट अपार्ट:द लाइफ एंड थॉट ऑफ बी आर आंबेडकर’ में 14 अक्टूबर 1956 की इस ऐतिहासिक घटना पर कई नई और रोचक जानकारियां दी गई हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि डॉ. आंबेडकर का भगवान बुद्ध के जीवन और विचारों के प्रति आकर्षण लगभग आधी सदी पुराना था, लेकिन उन्होंने 1950 से ही सार्वजनिक रूप से बौद्ध धर्म अपनाने की अपनी इच्छा व्यक्त करनी शुरू की थी।

उन्होंने कहा कि फरवरी 1956 में, आंबेडकरवादी आंदोलन की पत्रिका ‘‘जनता’’ का नाम बदलकर ‘‘प्रबुद्ध भारत’’ कर दिया गया।

रमेश ने कहा, ‘‘ भारतीय बौद्ध जन समिति के वामनराव गोडबोले ने नागपुर को धर्म परिवर्तन के स्थान के रूप में चुनने में प्रमुख भूमिका निभाई। रविवार 14 अक्टूबर 1956 का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि उस दिन विजया दशमी थी और आर. डी. भंडारे ने पंद्रह दिन पहले बताया था कि सम्राट अशोक इस दिन को अपने विजय दिवस के रूप में मनाते थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एक माह बाद डॉ. आंबेडकर ने काठमांडू में विश्व बौद्ध महासंघ को बुद्ध या कार्ल मार्क्स विषय पर संबोधित किया। लौटते समय वह लुंबिनी, बोधगया और सारनाथ भी गए। नयी दिल्ली लौटने के छह दिन बाद ही उनका निधन हो गया।’’

रमेश ने कहा, ‘‘दशकों के अध्ययन की उपज उनकी अंतिम और अत्यंत मौलिक कृति ‘द बुद्ध एंड हिज धम्म’ जिसके लिए उन्होंने अपने निधन से कुछ घंटे पहले ही प्रस्तावना लिखी थी, जनवरी 1957 की शुरुआत में प्रकाशित हुई।’’

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