बिहार में भाकपा (माले)एल के 18 सीट पर चुनाव लड़ने का रास्ता साफ: दीपांकर

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कोलकाता, 13 अक्टूबर (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने सोमवार को कहा कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी के कम से कम 18 सीट पर चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है, जबकि कुछ और सीट के लिए बातचीत जारी है।

भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी पार्टी के उम्मीदवार मंगलवार से नामांकन दाखिल करना शुरू कर देंगे, हालांकि महागठबंधन ने अभी तक सीट बंटवारे के बारे में औपचारिक घोषणा नहीं की है।

उन्होंने निर्वाचन आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत मतदाता सूची से नाम हटाए जाने की आलोचना की।

भाकपा (माले) लिबरेशन 2020 के चुनाव में 19 सीट में से 12 पर जीत हासिल करके एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा था और इस बार उसने लगभग 40 सीट की मांग की है।

भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे पर चर्चा को अंतिम रूप दे दिया गया है। पार्टी ने पिछली बार जिन 19 सीट पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 18 सीटों पर बातचीत हो गई है लेकिन कुछ अन्य सीट पर चर्चा जारी है।

उन्होंने कहा कि पार्टी की प्रचार मशीनरी पहले ही ग्रामीण बिहार में सक्रिय हो चुकी है।

भाकपा (माले) लिबरेशन महागठबंधन का एक अहम घटक है जिसमें राजद, कांग्रेस, भाकपा, माकपा और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी शामिल हैं।

राज्य की सत्तारूढ़ राजग ने सीट बंटवारे के संबंध में एक ओर जहां निर्णय ले लिया है वहीं विपक्षी खेमा अब भी बातचीत में उलझा हुआ है।

राजद और कांग्रेस अब भी दिल्ली में सहमति बनाने में जुटे हैं, जिससे सीट बंटवारे की अंतिम घोषणा में देरी हो रही है।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘राजद और कांग्रेस दिल्ली में सहमति को अंतिम रूप दे रहे हैं। मुझे अभी तक नतीजे का पता नहीं है।”

उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया कि क्या देरी नुकसानदेह साबित होगी।

उन्होंने पिछले महीने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि बिहार में सीट बंटवारे पर बातचीत के दौरान कांग्रेस अधिक यथार्थवादी रुख अपनाएगी जबकि राजद अपने छोटे सहयोगियों के प्रति अधिक उदार होगी।

उन्होंने इन अटकलों को खारिज किया कि महागठबंधन ने कथित तौर पर बड़े पैमाने पर लोगों को मताधिकार से वंचित किए जाने के विरोध में पहले चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार किया था।

भट्टाचार्य ने कहा कि ऐसा कोई विकल्प ‘‘कभी विचारणीय नहीं था क्योंकि यह इससे लड़ने के बजाय बहिष्कार को बढ़ावा देगा।’’

उनकी यह टिप्पणी राजद नेता तेजस्वी यादव के जुलाई के उस बयान की पृष्ठभूमि में आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि हटाए गए नामों के संबंध में सुधार नहीं किया गया तो महागठबंधन चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार कर सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब बड़े पैमाने पर मताधिकार से वंचित होने का डर अपने चरम पर था और लगभग दो करोड़ मतदाता खतरे में थे तब कुछ लोगों ने भावनात्मक टिप्पणियां की होंगी लेकिन एक पार्टी के रूप में हमने कभी बहिष्कार के बारे में नहीं सोचा।’’

बिहार के लिए 30 सितंबर को प्रकाशित निर्वाचन आयोग की अंतिम मतदाता सूची में 7.42 करोड़ मतदाता हैं। इसमें जून में एसआईआर शुरू होने के बाद से 47 लाख से अधिक नाम कम थे।

भट्टाचार्य ने निर्वाचन आयोग पर ‘‘अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी से मुंह मोड़ने’’ और मतदाता सूची में सुधार का भार मतदाताओं और राजनीतिक दलों पर डालने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग का काम निष्पक्ष और सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित करना है। इसके बजाय, इसने इस प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया है कि आम नागरिक, खासकर गरीब और प्रवासी मज़दूर इसे समझ नहीं पा रहे हैं। सारा भार संस्थान से हटकर व्यक्ति पर डाल दिया गया है।’’

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