आगामी लोकसभा चुनाव में नेतृत्व के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन को ‘सारथी’ चाहिए: शिवसेना (उद्धव)

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पुणे, शिवसेना (यूबीटी) ने मंगलवार को कांग्रेस को सुझाव दिया कि अगर वह विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) को मजबूत करना चाहती है तो उसे सभी सहयोगियों को एक साथ लेना चाहिए और 2024 के लोकसभा चुनाव में नेतृत्व के लिए एक सारथी नियुक्त करना चाहिए।

शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में यह भी सुझाव दिया गया है कि कांग्रेस को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में कम से कम 150 सीट (अपने दम पर) जीतने का संकल्प लेना चाहिए।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) भी ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल है। पार्टी ने तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजे का जिक्र किया।

हाल के विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद 2024 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबला करने के लिए संयुक्त अभियान, सीटों के बंटवारे और रणनीति को फिर से तैयार करने पर विचार-विमर्श के लिए विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों की मंगलवार को नयी दिल्ली में बैठक होने वाली है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि गठबंधन ‘इंडिया’ की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला 2024 के आम चुनाव के बाद किया जाएगा।

‘सामना’ के संपादकीय में मंगलवार को कहा गया, ‘‘कांग्रेस को 2024 के आम चुनाव में कम से कम 150 सीट जीतने का संकल्प लेना चाहिए और यह तभी संभव है जब गठबंधन ‘इंडिया’ मजबूत रहेगा।’’

तीन राज्यों के चुनावों में विपक्षी दलों को साथ नहीं लेने के लिए संपादकीय में कांग्रेस पर निशाना भी साधा गया।

इसमें दावा किया गया, ‘‘कांग्रेस तीन राज्यों में जीत का स्वाद अकेले चखना चाहती थी और इसीलिए उसने क्षेत्रीय दलों तथा गठबंधन को दूर रखा। कहा जा रहा है कि जहां भी कांग्रेस को अपने दम पर चुनाव जीतने की संभावना दिखती है, वह किसी को साथ लेकर नहीं चलती है और इसी ‘अहंकार’ में कांग्रेस ने खुद को और गठबंधन ‘इंडिया’ को नुकसान पहुंचाया है।’’

उसमें सुझाव दिया गया कि ‘इंडिया’ का महत्व बढ़ाया जाना चाहिए।

संपादकीय में कहा गया है, ‘‘गठबंधन ‘इंडिया’ के रथ में 27 घोड़े (गठबंधन के 27 घटक दल) हैं। लेकिन रथ का कोई सारथी नहीं है, जिसके अभाव में यह जमीन में फंस गया है। ‘इंडिया’ को एक संयोजक की आवश्यकता है।’’

यह भी कहा गया कि जो लोग कह रहे हैं कि संयोजक की कोई आवश्यकता नहीं है, वे ‘इंडिया’ को नुकसान पहुंचा रहे हैं।