
विवाहोपरांत मां बनना एक सुखद अहसास होता है। अगर गर्भकाल में महिला हैल्दी रहती है तो उसका लाभ आने वाले बच्चे को भी मिलता है। पहली बार गर्भधारण करने पर महिला को हर दिन, हर पल एक नया अनुभव होता है। मन में कितने सुखद विचार घूमते रहते हैं और कितने शंका भरे। शरीर में इतने परिवर्तन होते हैं, अगर हम उस समय लापरवाही बरतते हैं तो परिणाम कई बार गर्भपात भी हो सकता है।
किसी भी प्रकार की श्ंका होने पर आप डाक्टर से संपर्क करें और अपनी शंकाओं का समाधान कर रिलेक्स हो जाएं ताकि किसी भी प्रकार का तनाव आपको और आने वाले बच्चे को नुकसान न पहुंचाए। गर्भकाल में परिवार के साथ पिता का भी महत्त्वपूर्ण योगदान होता है गर्भवती महिला का ध्यान रखनां हैल्दी प्रेगनेंसी के लिए क्या जानना जरूरी है।
शादी के बाद पति पत्नी को बच्चे के लिए प्लानिंग कर लेनी चाहिए कि कब वह माता-पिता बनना चाहते हैं। आजकल युवा दंपति इस बात के लिए जागरूक हैं।
गर्भधारण करने पर अपने खान-पान में पौष्टिकता पर विशेष ध्यान दें। चाय काफी, तले स्नैक्स लेने की जगह दूध, दही,फल,सब्जियों का सेवन करें। जो दोनों के स्वास्थ्य के लिए हितकर है।
सास और मम्मी की सलाह को भी ध्यान से सुनें और जरूरी है अच्छी गायनोकोलॉजिस्ट की जो आपका समय पर सही मार्ग दर्शन करती रहेगी।
अगर आप किसी भी तरह की गर्भनिरोधक दवाइयां लेती हैं और अब बच्चा प्लान कर रही हैं तो इस बारे में भी पूरी जानकारी डाक्टर से लें ताकि किसी भी तरह का कुप्रभाव आपके बच्चे पर न आए।
सेहतमंद और तंदुरूस्त रहना इस काल में इसलिए जरूरी है क्योंकि इसका सीधा प्रभाव आपकी ऊर्जा पर पड़ेगा और आपके बच्चे की सेहत पर भी।
गर्भ धारण के दौरान ठूंस ठूंस कर न खाएं थोड़ी अतिरिक्त कैलोरीज ही लेनी चाहिए। संतुलित आहार ही दोनों की सेहत के लिए सुरक्षित होता है।
अपने आहार में फांलिक एसिड, कैल्शियम, आयरन, जिंक, प्रोटीन, फास्फोरस, विटामिन डी, ओमेगा 3फैटी एसिड का होना जरूरी है। इनके सेवन से खून में हीमोग्लोबिन बढ़ता है और गर्भपात का डर नहीं रहता।
डाक्टर के परामर्श अनुसार फोलिक एसिड,आयरन और कैल्शियम भी लें और कुदरती óोत के रूप में आहार भी संतुलित और पौष्टिक लें। धूप का सेवन भी करती रहें।
इन सबसे नवजात शिशु की ग्रोथ भी ठीक होगी। हड्डियां, दांत मजबूत होंगे, नसों और मांसपेशियों का विकास ठीक होगा। इसके अतिरिक्त बच्चे का दिमाग व नर्वस सिस्टम का विकास ठीक होता है।
इस समय पत्नी को इमोशनल सपोर्ट की आवश्यकता होती है इसलिए उसके साथ हंसी खुशी समय बिताएं, घर का वातावरण खुशनुमा रखें, डाक्टर के पास दोनों मिलकर जाएं। डाक्टर के पास जाने से पहले किसी भी आशंका होने पर डायरी में नोट कर लें। कुछ भी पूछने पर शर्माएं नहीं।
फोलिक एसिड की कमी से बच्चे के नर्वस सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रीढ़ और मस्तिष्क में भी समस्या हो सकती है। शुरू के 3 हफ्ते में होने वाले विकास में फोलिक एसिड का विशेष योगदान होता है।
गर्भवती महिला को अच्छी नींद लेना भी जरूरी है। भ्रूण के विकास के समय महिला को थकान होती है। इसलिए नींद अच्छी आए, इस बात पर ध्यान दें। कुछ महिलाओं को नींद खूब आती है और कुछ को टूट- टूट कर। नींद पूरी न होने पर रेस्टलेस रहना आम बात है।
कैफीन युक्त पेय का सेवन कम से कम करें। सोने जागने का समय निश्चित करें। हर्बल टी दिन में एक या दो बार लें। दूध में शहद मिलाकर लें।
अगर पैरों में क्रैम्पस की शिकायत हो तो डाक्टर को बताएं और परामर्श अनुसार आहार में बदलाव करें।
स्वयं को तनावमुक्त रखने के लिए शवासन में लेट जाएं और अपनी मांसपेशियां ढीली करें। बीच बीच में बांहों और पैरों को स्ट्रेच करें ताकि गर्भकाल के दौरान लचीलापन बना रहे। किसी विशेषज्ञ की देखरेख में योग के कुछ आसन करें। अपने हाथों-पैरों की हल्की मालिश कराएं ताकि नींद अच्छी आ सके।
गर्भकाल के दौरान गर्भवती महिला का मूड तेजी से बदलता है कभी खुश और शांत, कभी चिड़चि़ड़ापन आ जाता है जिससे कभी कभी ओवर रिएक्ट करती हैं। यह सब शरीर में शारीरिक और भावनात्मक बदलाव होने के कारण होता है।
कभी कभी महिला को छाती में जलन, मिचली की शिकायत होती है। यह सब मेटाबॉलिज्म में परिवर्तन आने की वजह से होता है।
गर्भवती महिला कभी तो नन्हे मेहमान के आने से खुशी महसूस करती है और कभी बढ़ने वाली जिम्मेदारियां, आजादी खोने के अहसास से बेचैन हो उठती है। मूड में उथल पुथल होने पर स्नान करें, रिलैक्स महसूस होगा। पति के साथ अपनी चिंताएं और खुशियां शेयर करें।
गर्भकाल के दौरान सुबह के समय उलटी महसूस होना या उलटी होना आम समस्या है। अक्सर 3 माह बाद यह समस्या अपने आप काबू आ जाती है। कई महिलाओं को लंबे समय तक ऐसा रहता है।
बच्चे का भार बढ़ने पर गर्भंवती महिला का भार बढ़ने लगंता है जिससे पेट,कमर का घेरा बढ़ जाता है यह सब नार्मल है। इसके कारण कभी कभी कमर और पीठ दर्द भी होने लगता है। थोड़ा बहुत दर्द तो आम है पर लगातार दर्द बना रहे तो डाक्टर से परामर्श करें।
गर्भकाल के दौरान भारी सामान न उठाएं न ही भारी सामान खिसकाएं।
यदि आप ठीक हैं तो अधिक समय तक एक स्थान पर न बैठें। थोड़ा टहलें। कामकाजी हैं, तब भी बीच बीच में उठकर टहलें, शरीर को स्ट्रेच करें। कमर के पीछे तकिया लगा कर ही बैठें। ड्रेस और जूते आरामदायक पहनें।
– कहीं दर्द हो रहा हो तो डाक्टर से बिना पूछे दवा न लें। गर्म पानी की सिंकाई करें।
– गर्भकाल के दौरान वेजाइना में खुजली की समस्या परेशान करती है, ऐसे में यूरिन अगर ठीक है तो यह सामान्य है। अगर रिपोर्ट ठीक नहीं तो डाक्टर से परामर्श करें। प्रभावित एरिया को साफ और सूखा रखें। सूती इनरवेयर पहनें, टाइट न पहनें।