गुजरात की उद्योग समर्थक नीति, पीएम मित्र पार्क कपड़ा क्षेत्र को बना रहे आकर्षक: हितधारक

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अहमदाबाद,  गुजरात सरकार की उद्योग-समर्थक नीति, वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन के जरिए आने वाले निवेश और नवसारी में आगामी प्रधानमंत्री मित्र पार्क की मदद से कपड़ा क्षेत्र काफी आकर्षक हो गया है। अधिकारियों और उद्योग जगत के दिग्गजों ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि देश का 60 प्रतिशत से अधिक डेनिम कपड़ा गुजरात से आता है और इस कारण राज्य को भारत का कपड़ा राज्य कहा जाता है।

उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक से अधिक समय से कपड़ा नीति के माध्यम से राज्य सरकार ने समर्थन प्रदान करते हुए क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि गुजरात की कपड़ा नीति ने तकनीकी उन्नयन, कौशल वृद्धि और कपड़ा पार्कों के विकास को बढ़ावा दिया है, जिससे यह सबसे आकर्षक क्षेत्रों में से एक बन गया है। उनका मानना है कि गुजरात का कपड़ा उद्योग खुद को राज्य की आर्थिक वृद्धि में एक प्रेरक शक्ति के रूप में स्थापित करेगा और वैश्विक कपड़ा व्यापार में योगदान देगा।

राज्य सरकार के अनुसार, दक्षिण गुजरात के नवसारी में प्रधानमंत्री मित्र पार्क के विकास से 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित होने की संभावना है, जिससे 25,000-30,000 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार होगा।

इससे गुजरात के परिधान क्षेत्र का योगदान तीन प्रतिशत से बढ़कर पांच प्रतिशत, समग्र कपड़ा उत्पादन 18 प्रतिशत से बढ़कर 22 प्रतिशत और क्षेत्र का निर्यात लगभग 12 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है।

वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन (वीजीजीएस) 2024 से पहले गुजरात सरकार ने अब तक कपड़ा और परिधान विनिर्माण कंपनियों के साथ कुल 2,844.93 करोड़ रुपये के 10 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, समझौता ज्ञापन बुने हुए उत्पादों, विस्कोस और पॉलिएस्टर स्टेपल सूत, पॉलिएस्टर फिल्मों के निर्माण और मिश्रित कपड़ा संयंत्र और डेनिम रंगाई और प्रसंस्करण इकाई के निर्माण से संबंधित हैं।

इसमें कहा गया कि भारत के कपड़ा क्षेत्र को “विश्व चैंपियन” बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान को हासिल करने के लिए राज्य सरकार अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है। राज्य सरकार द्वारा इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हर अवसर का उपयोग किया जा रहा है, जो रोजगार सृजन में कृषि के बाद दूसरे स्थान पर है।