आथर्टन ने आईसीसी प्रतियोगिताओं में ‘सुव्यवस्थित’ भारत-पाक मुकाबलों को खत्म करने की मांग की

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लंदन, सात अक्टूबर (भाषा) इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल आथर्टन ने आरोप लगाया है कि ‘आर्थिक जरूरतों’ के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के टूर्नामेंटों में भारत-पाकिस्तान के बीच मुकाबलों को सुनिश्चित करने के लिए ड्रॉ ‘सुव्यवस्थित’ तरीके से किया गया।

उन्होंने दोनों चिर प्रतिद्वंद्वियों के बीच क्रिकेट को पूरी तरह से बंद करने की मांग की है क्योंकि खेल ‘व्यापक तनाव और दुष्प्रचार का माध्यम’ बन गया है।

‘द टाइम्स’ के लिए लिखे एक तीखे कॉलम में आथर्टन ने एशिया कप में हाल ही में हुए ‘हंगामे’ का हवाला दिया जहां भारतीय टीम ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया था और एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के पाकिस्तानी प्रमुख मोहसिन नकवी विजेता ट्रॉफी अपने साथ लेकर चले गए थे क्योंकि भारतीयों ने उनसे ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया था।

आथर्टन ने कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान 2013 से हर आईसीसी टूर्नामेंट के ग्रुप चरण में एक-दूसरे से भिड़ते रहे हैं जिसमें तीन 50 ओवर के विश्व कप, पांच टी20 विश्व कप और तीन चैंपियन्स ट्रॉफी शामिल हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि शुरुआती चरण एकल राउंड रोबिन रहा हो- जिसकी एक वजह भारत बनाम पाकिस्तान मुकाबले की अनिवार्यता है – या फिर कई ग्रुप जहां मुकाबले के कार्यक्रम के लिए ड्रॉ का आयोजन बड़े सुव्यवस्थित तरीके से किया गया।’’

पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर है जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 26 भारतीयों की हत्या कर दी थी जिसके बाद मई में भारत ने सैन्य कार्रवाई की थी।

आथर्टन ने लंदन के ‘द टाइम्स’ में लिखा, ‘‘दोनों देशों के बीच कम मैचों (शायद आंशिक रूप से इसकी कमी) के कारण यह एक ऐसा मुकाबला है जिसका आर्थिक प्रभाव बहुत अधिक है, यही एक मुख्य कारण है कि आईसीसी टूर्नामेंटों के प्रसारण अधिकार इतने अधिक कीमती हैं – सबसे हालिया अधिकार 2023-27 चक्र के लिए लगभग तीन अरब डॉलर में।’’

उन्होंने कहा, ‘‘द्विपक्षीय मुकाबलों के महत्व में अपेक्षाकृत गिरावट के कारण आईसीसी प्रतियोगिताओं की आवृत्ति और महत्व बढ़ गया है और इसलिए भारत और पाकिस्तान के बीच मैच उन देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है जिनका अन्यथा खेल में कोई महत्व नहीं है।’’

आथर्टन ने कहा कि अब समय आ गया है कि दोनों चिर प्रतिद्वंद्वियों के बीच आईसीसी प्रतियोगिताओं में कम से कम एक बार भिड़ंत सुनिश्चित करने वाली ‘रणनीतिक रूप से समर्थित व्यवस्था’ को समाप्त किया जाए। हाल ही में हुए एशिया कप में ड्रॉ और कार्यक्रम ऐसा था कि तीन हफ्तों के इस टूर्नामेंट में दोनों टीमें हर रविवार को आमने-सामने होंगी।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर क्रिकेट कभी कूटनीति का जरिया था तो अब यह स्पष्ट रूप से व्यापक तनाव और दुष्प्रचार का माध्यम बन गया है। किसी भी गंभीर खेल के लिए अपनी आर्थिक जरूरतों के हिसाब से टूर्नामेंट के मैच आयोजित करना किसी भी सूरत में उचित नहीं है और अब जब इस प्रतिद्वंद्विता का दूसरे तरीकों से फायदा उठाया जा रहा है तो इसका औचित्य और भी कम है।’’

आथर्टन ने कहा, ‘‘अगले प्रसारण अधिकार चक्र के लिए आईसीसी प्रतियोगिताओं से पहले मुकाबलों का ड्रॉ पारदर्शी होना चाहिए और अगर दोनों टीम हर बार नहीं भिड़ती तो कोई बात नहीं।’’

वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कोई द्विपक्षीय क्रिकेट संबंध नहीं है। एशिया कप से कुछ दिन पहले भारत सरकार ने दोनों देशों के बीच तटस्थ स्थानों पर भी द्विपक्षीय मुकाबलों के आयोजन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की नीति बनाई लेकिन ओलंपिक चार्टर का पालन सुनिश्चित करने के लिए बहुपक्षीय प्रतियोगिताओं को इससे छूट दी गई।

आथर्टन ने कहा कि दोनों देशों को जानबूझकर एक-दूसरे के साथ रखा जा रहा है जिससे कि उस तनाव का फायदा उठाया जा सके जो मैदान और टीवी पर दर्शकों की संख्या को आकर्षित करता है और अच्छे विज्ञापन राजस्व के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस ‘व्यवस्था’ को कई कारणों से खेल के भीतर मौन समर्थन प्राप्त है। सबसे स्पष्ट कारण यह है कि राजनीतिक तनाव के कारण दोनों टीमें आईसीसी प्रतियोगिताओं के इतर एक-दूसरे से नहीं भिड़ंती।’’

आथर्टन ने कहा, ‘‘एक-दूसरे के मैदान पर क्रिकेट कभी दोनों देशों के बीच बातचीत का जरिया हुआ करता था लेकिन धीरे-धीरे इस पर सन्नाटा छा गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल आईसीसी प्रतियोगिताओं में ही दोनों टीम के बीच मुकाबले होते हैं और अब वो भी तटस्थ मैदान पर- हाल ही में चैंपियंस ट्रॉफी में इस पर काफी बहस हुई थी जब भारत ने पाकिस्तान की मेजबानी में हुए टूर्नामेंट के अपने सभी मैच दुबई में खेले।’’

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