भीड़ तंत्र को सत्ता का संरक्षण, संविधान की जगह बुलडोज़र ने ली : राहुल गांधी
Focus News 7 October 2025 0
नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में एक दलित व्यक्ति की हत्या की घटना को लेकर मंगलवार को दावा किया कि हिंसा और भीड़तंत्र को सत्ता का संरक्षण मिला हुआ है, जहां संविधान की जगह बुलडोज़र और इंसाफ़ की जगह डर ने ले ली है।
उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ एक संयुक्त बयान में दलित व्यक्ति हरिओम वाल्मीकि की हत्या को “संविधान के प्रति घोर अपराध” भी करार दिया और कहा कि वर्ष 2014 के बाद से “मॉब लिंचिंग”, ‘बुलडोज़र अन्याय’ और भीड़तंत्र हमारे समय की भयावह पहचान बन चुके हैं।
राहुल गांधी ने यह संयुक्त बयान ‘एक्स’ पर साझा करते हुए कहा, “रायबरेली में दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की निर्मम हत्या सिर्फ़ एक इंसान की नहीं बल्कि इंसानियत, संविधान और न्याय की हत्या है। आज भारत में दलित, आदिवासी, मुसलमान, पिछड़े और ग़रीब – हर उस व्यक्ति को निशाना बनाया जा रहा है, जिसकी आवाज़ कमजोर है, जिसकी हिस्सेदारी छीनी जा रही है, और जिसकी ज़िंदगी सस्ती समझी जाती है।”
उन्होंने दावा किया किया कि देश में नफ़रत, हिंसा और भीड़तंत्र को सत्ता का संरक्षण मिला हुआ है, जहां संविधान की जगह बुलडोज़र ने ले ली है, और इंसाफ़ की जगह डर ने ले ली है।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “मैं हरिओम के परिवार के साथ खड़ा हूं। उन्हें न्याय ज़रूर मिलेगा। भारत का भविष्य समानता और मानवता पर टिका है और यह देश चलेगा संविधान से, भीड़ की सनक से नहीं।”
कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा, “हमारे देश में एक संविधान है, जो हर इंसान को समानता के भाव से पहचानता है। एक कानून है, जो हर नागरिक की सुरक्षा, उसके अधिकार और उसकी अभिव्यक्ति को समान दर्जा देता है। जो रायबरेली में हुआ, वह इस देश के संविधान के प्रति घोर अपराध है।”
उनका कहना है कि दलित समुदाय के प्रति अपराध इस देश व समाज पर कलंक है।
खरगे और राहुल गांधी ने कहा, “देश में दलितों, अल्पसंख्यकों और ग़रीबों पर अपराध की संख्या हद से ज़्यादा बढ़ चुकी है। यह हिंसा सबसे अधिक उन्हीं पर होती है जो वंचित हैं, बहुजन हैं, जिनकी न पर्याप्त हिस्सेदारी है, न प्रतिनिधित्व है।”
उन्होंने यह भी कहा, “चाहे हाथरस और उन्नाव में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध हों, रायबरेली में हरिओम की हत्या, या कुछ समय पहले रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या, मध्य प्रदेश में एक नेता द्वारा आदिवासी युवक पर पेशाब करने की अमानवीय घटना, ओडिशा और मध्य प्रदेश में दलितों की निर्मम पिटाई, या फिर हरियाणा के पहलू खान और उत्तर प्रदेश के अख़लाक़ की हत्या हो, हर घटना हमारे समाज, प्रशासन और सत्ताधारी शक्तियों की बढ़ती हुई संवेदनहीनता का दर्पण है।”
कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, 2014 के बाद से “मॉब लिंचिंग”, बुलडोज़र अन्याय और भीड़तंत्र जैसी प्रवृत्तियां हमारे समय की भयावह पहचान बन चुकी हैं।
उन्होंने कहा, “हिंसा किसी भी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती इसलिए हरिओम के साथ जो हुआ, वह हमारी सामूहिक नैतिकता पर गहरा प्रश्न है।”
खरगे और राहुल गांधी ने कहा, ” डॉ. भीमराव आंबेडकर के सपनों का भारत और महात्मा गांधी के ‘वैष्णव जन…’ का भारत सामाजिक न्याय, समानता और संवेदना का भारत है, जिसमें ऐसे अपराधों के लिए कोई स्थान नहीं है। मानवता ही एकमात्र रास्ता है।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस पार्टी समाज के वंचित और कमजोर तबकों के सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध है।
कांग्रेस नेताओं ने कहा, “हम नागरिकों से आह्वान करते हैं कि वे इस अन्याय के विरुद्ध एकजुट हों। यह लड़ाई तब तक जारी रहनी चाहिए, जब तक हर भारतीय के अधिकारों और जीवन की गरिमा को पूर्ण सुरक्षा नहीं मिल जाती।”