नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा) सरकार पीएम-कुसुम योजना की समयसीमा एक बार फिर बढ़ा सकती है क्योंकि इस पहल के दो प्रमुख घटक अपने लक्ष्य का 50 प्रतिशत भी हासिल नहीं कर पाए हैं। आधिकारिक सूत्र ने यह जानकारी दी।
प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना 2019 में शुरू की गई थी। इसका लक्ष्य 2022 तक 30,800 मेगावाट की सौर क्षमता जोड़ना था। इसमें कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए सेवा शुल्क सहित कुल 34,422 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्तीय सहायता शामिल थी।
केंद्र ने बाद में पीएम-कुसुम योजना को मार्च 2026 तक बढ़ा दिया क्योंकि वैश्विक महामारी के कारण इसका कार्यान्वयन काफी प्रभावित हुआ था। लक्ष्य को भी संशोधित कर 34,800 मेगावाट कर दिया गया था।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए पीएम कुसुम के कार्यान्वयन की समय-सीमा को और बढ़ाए जाने के आसार हैं। यह इस योजना का दूसरा विस्तार होगा।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस महत्वाकांक्षी योजना के किसी भी घटक ने 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल नहीं किया है।
यद्यपि योजना का घटक ‘ख’ (जो मार्च 2026 को समाप्त होगा) नौ सितंबर तक लक्ष्य का 71 प्रतिशत पूरा करने में सक्षम रहा है। घटक ‘क’ ने केवल 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। घटक ‘ग’- व्यक्तिगत पंप का सौरीकरण (आईपीएस) एवं घटक ‘ग’ – फीडर स्तरीय सौरीकरण (एफएलएस) ने क्रमशः 16.5 प्रतिशत और 25.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के अनुसार, घटक ‘क’ छोटे सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करके 10,000 मेगावाट सौर क्षमता की स्थापना से जुड़ा है। घटक ‘ख’ 14 लाख ऑफ-ग्रिड एकल सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों की स्थापना और घटक ‘ग’ 35 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सौरीकरण से संबद्ध है।
घटक ‘क’ के तहत 650.49 मेगावाट क्षमता स्थापित की गई है। दूसरी ओर घटक ‘ख’ के तहत 12.72 लाख से अधिक ऑफ-ग्रिड सौर पंप स्वीकृत किए गए हैं जिनमें से 9.03 लाख स्थापित किए जा चुके हैं।