नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा) केंद्र सरकार ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाढ़ प्रबंधन और नदी की सफाई पर ‘‘भेदभाव’’ के आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि भारत पहले से ही सीमा पार नदी मुद्दों पर भूटान के साथ मिलकर काम कर रहा है और बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रमों के तहत इस राज्य को 1,290 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए गए हैं।
उत्तर बंगाल के बड़े हिस्से में मूसलाधार बारिश से 30 लोगों की मौत होने और कई लोगों के लापता होने के एक दिन बाद सोमवार को ममता ने केंद्र पर भारत-भूटान नदी आयोग गठित करने के उनके आह्वान की अनदेखी करने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि इसके बिना ‘‘उत्तर बंगाल को बार-बार आने वाली बाढ़ के दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि ‘‘केंद्र बाढ़ प्रबंधन के लिए कोई धनराशि उपलब्ध नहीं कराता है और यहां तक कि उसने नदी की सफाई के लिए गंगा कार्य योजना को भी रोक दिया है।’’
इसके जवाब में जल शक्ति मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि भारत और भूटान के पास पहले से ही संस्थागत तंत्र हैं जैसे कि संयुक्त विशेषज्ञ समूह (जेजीई), संयुक्त तकनीकी दल (जेटीटी) और संयुक्त विशेषज्ञ दल (जेईटी), जो उत्तर बंगाल को प्रभावित करने वाले नदी कटाव, गाद जमाव और बाढ़ के मुद्दों का समाधान करते हैं।
उसने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारी इन संयुक्त निकायों के सदस्य हैं।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि बाढ़ प्रबंधन परियोजनाओं से संबंधित कोई भी वित्तपोषण प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास लंबित नहीं है तथा बाढ़ प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) के अंतर्गत राज्य को 1,290 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
गंगा कार्य योजना को रोक दिए जाने के ममता के दावे का खंडन करते हुए मंत्रालय ने कहा कि गंगा कार्य योजना और नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत पश्चिम बंगाल में 5,648.52 करोड़ रुपये की 62 परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें से 31 सीवरेज बुनियादी ढांचा परियोजनाएं हैं और 30 घाटों तथा श्मशान घाटों से संबंधित हैं।
मंत्रालय ने दोहराया कि केंद्र नदी प्रबंधन और बाढ़ नियंत्रण के मुद्दों पर भूटान और पश्चिम बंगाल सरकार के साथ ‘‘सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ’’ है।