जाति सर्वेक्षण की समय सीमा बढ़ाने पर फैसला मुख्यमंत्री सिद्धरमैया करेंगे: मंत्री परमेश्वर

0
cvgtgrfd

बेंगलुरु, छह अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने सोमवार को कहा कि सभी जिलों से आंकड़े एकत्र होने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया वर्तमान में जारी सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण की समय सीमा बढ़ाने के संबंध में निर्णय लेंगे। इस सर्वेक्षण को आम तौर पर ‘‘जाति जनगणना’’ कहा जा रहा है।

उन्होंने बताया कि रिपोर्ट के आधार पर अब तक 70 से 80 प्रतिशत सर्वेक्षण पूरा हो चुका है।

कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा किया जा रहा यह सर्वेक्षण 22 सितंबर को शुरू हुआ और सात अक्टूबर को समाप्त होगा।

सर्वेक्षण की अवधि बढ़ाए जाने के बारे में पूछे जाने पर परमेश्वर ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री कोप्पल गए हैं और लौटने पर अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे और सभी जिलों से जानकारी एकत्र करेंगे। प्रत्येक जिले में सर्वेक्षण कवरेज का प्रतिशत अलग-अलग है, कुछ जगहों पर यह 70 प्रतिशत, 50 प्रतिशत और लगभग 80 प्रतिशत है या कुछ अन्य जगहों पर लगभग पूरा होने वाला है। औसतन, पूरे राज्य में 70 से 80 प्रतिशत सर्वेक्षण हो चुका है।’’

गृह मंत्री ने यहां पत्रकारों से बातचीत में स्वीकार किया कि तकनीकी गड़बड़ियों और गणनाकर्ताओं से संबंधित मुद्दों के कारण सर्वेक्षण प्रक्रिया में कुछ भ्रम की स्थिति बनी रही है, लेकिन प्रक्रिया जरूर पूरी होनी ही चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने सात अक्टूबर को अंतिम तिथि बताई थी। मुख्यमंत्री इसे आगे बढ़ाने पर फैसला करेंगे।’’

सर्वेक्षण के दौरान पूछे गए सवालों पर उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार और केंद्रीय राज्य मंत्री वी. सोमन्ना द्वारा आपत्ति जताए जाने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृह मंत्री ने कहा कि राज्यव्यापी सर्वेक्षण करते समय ऐसी छोटी-मोटी भ्रांतियां होती रहती हैं और सभी के सहयोग से इसे सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘डी. के. शिवकुमार और सोमन्ना अकेले ऐसे दो लोग नहीं हैं, सभी की अपनी-अपनी राय होती है। मुझे भी लगता है कि कुछ चीजें सही नहीं हैं… आप बिना किसी भ्रम के ऐसा होने की उम्मीद नहीं कर सकते। सभी को सहयोग करना चाहिए।’’

सर्वेक्षण के तरीके और समुदायों को विभाजित करने के आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कटाक्ष का जवाब देते हुए परमेश्वर ने कहा, ‘‘वे अपनी राय व्यक्त करेंगे, लेकिन एक जिम्मेदार सरकार होने के नाते हम वही कर रहे हैं जो हमें करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्या हम हर किसी की राय के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं? सरकार ने फायदे और नुकसान को ध्यान में रखते हुए और पिछले सर्वेक्षणों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है। लगभग 80 प्रतिशत सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, अगर चार दिन का और समय दिया जाए तो बाकी 20 से 25 प्रतिशत सर्वेक्षण पूरा हो जाएगा।’’

अधिकारियों के अनुसार, 420 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किए गए इस सर्वेक्षण में 60 प्रश्नों वाली प्रश्नावली का इस्तेमाल किया गया है और इसे ‘‘वैज्ञानिक रूप से’’ किया जा रहा है।

सरकार ने इससे पूर्व 2015 में एक सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण पर 165.51 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *