करेला मनुष्य शरीर के लिये परम हितकारी और औषधीय गुणों का भण्डार है। यह भूख को बढ़ाकर हमारी पाचन शक्ति सुधारता है। पचने में हल्का है। शीतल होने के कारण गर्मी से उत्पन्न विकारों पर शीघ्र लाभ करता है। करेला बुखार, खांसी, त्वचा के विकार, अनीमिया, प्रमेह तथा पेट के कीड़ों का नाशक है।
करेले के कुछ औषधीय उपयोग करेले के टुकड़ां को छाया में सुखाकर, पीसकर महीन चूर्ण बना लें। छः ग्राम चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोगी को लाभ मिलेगा। करेले के पत्तों का रस (पचास मि.लि.) में थोड़ी-सी हींग मिलाकर पिलाने से पेशाब खुलकर आता है।
इसके पत्तों को पत्थर पर घिस कर चटनी जैसे बनाकर लेप लगाने से त्वचा के रोग मिटते हैं और इसी लेप से आग से जल जाने पर उत्पन्न व्रण भी ठीक हो जाता है। करेले का भुरता बना कर खाने से गठिया की सूजन कम होती है।
करेले के तीन बीज और तीन काली मिर्च को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर बच्चों को पिलाने से उल्टी-दस्त बंद होते हैं।
इसके फल या पत्ते के रस में एक चम्मच शक्कर मिलाकर खिलाने से खूनी बवासीर में बड़ा लाभ होता है।