नयी दिल्ली, सरकार ने गेहूं की जमाखोरी रोकने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए शुक्रवार को तत्काल प्रभाव से थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करण फर्मों के लिए गेहूं का भंडार (स्टॉक) रखने के मानदंडों को सख्त कर दिया।
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि व्यापारियों एवं थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं भंडारण की सीमा 2,000 टन से घटाकर 1,000 टन कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक खुदरा विक्रेता के लिए भंडारण सीमा 10 टन के बजाय पांच टन, बड़े खुदरा विक्रेताओं के प्रत्येक डिपो के लिए पांच टन और उनके सभी डिपो के लिए यह सीमा कुल मिलाकर 1,000 टन होगी।
उन्होंने कहा कि गेहूं का प्रसंस्करण करने वालीं कंपनी वित्त वर्ष 2023-24 के बाकी महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 70 प्रतिशत रख सकती हैं।
चोपड़ा ने कहा, ‘‘गेहूं के कृत्रिम अभाव की स्थिति को रोकने और जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किया गया है। संशोधित स्टॉक सीमा तत्काल प्रभाव से लागू होगी।’’
उन्होंने कहा कि व्यापारियों को अपना स्टॉक संशोधित सीमा तक कम करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, गेहूं भंडारण करने वाली सभी फर्मों को गेहूं स्टॉक सीमा संबंधी पोर्टल पर अपना पंजीकरण करना होगा और हर शुक्रवार को अपने स्टॉक के बारे में जानकारी देनी होगी।
पोर्टल पर पंजीकृत न कराई गई या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करने वाली फर्म के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा छह और सात के तहत उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
खाद्य मंत्रालय ने 12 जून को अनाज कारोबारियों पर मार्च, 2024 तक स्टॉक रखने की सीमा लगा दी थी। इसके बाद 14 सितंबर को इस सीमा को और भी कम करके व्यापारियों एवं थोक विक्रेताओं और उनके सभी डिपो में बड़े खुदरा विक्रेताओं के लिए 2,000 टन कर दिया गया था।
सरकार ने मई, 2022 से ही गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इसके साथ मुक्त बाजार बिक्री योजना के तहत थोक उपयोगकर्ताओं को रियायती दर पर गेहूं बेचा जा रहा है।