नागपुर, दो अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के पड़ोसी देशों में जनता के उग्र आक्रोश के कारण सरकारों का गिरना चिंता का विषय है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज में बदलाव केवल लोकतांत्रिक तरीकों से ही लाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि असंतोष का स्वाभाविक और तात्कालिक कारण सरकार और समाज के बीच का संबंध विच्छेद तथा योग्य एवं जनोन्मुखी प्रशासकों का अभाव है।
यहां आरएसएस की वार्षिक विजयादशमी रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने श्रीलंका, बांग्लादेश और हाल ही में नेपाल में ‘जेन जेड’ विद्रोह के बाद हुए सत्ता परिवर्तनों का जिक्र किया।
संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘भारत में ऐसी अशांति फैलाने की चाह रखने वाली ताकतें देश के अंदर और बाहर दोनों जगह सक्रिय हैं। असंतोष के स्वाभाविक और तात्कालिक कारण सरकार और समाज के बीच का विच्छेद और योग्य एवं जनोन्मुखी प्रशासकों का अभाव हैं। हालांकि, हिंसा में वांछित परिवर्तन लाने की शक्ति नहीं होती।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज केवल लोकतांत्रिक तरीकों से ही इस तरह का परिवर्तन प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसी हिंसक परिस्थितियों में इस बात की संभावना रहती है कि दुनिया की प्रमुख शक्तियां अपना खेल खेलने के अवसर तलाशने की कोशिश करें।
भागवत ने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों से संस्कृति और नागरिकों के बीच दीर्घकालिक संबंधों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक तरह से वे हमारे अपने परिवार का हिस्सा हैं। इन देशों में शांति, स्थिरता, समृद्धि और सुख-सुविधा सुनिश्चित करना, इन देशों के साथ हमारे स्वाभाविक जुड़ाव से उपजी आवश्यकता है, जो हमारे हितों की रक्षा से कहीं आगे है।’’