कोलकाता, 30 सितंबर (भाषा) दुर्गा पूजा के सबसे शुभ दिन माने जाने वाले महाअष्टमी के अवसर पर मंगलवार को पश्चिम बंगाल के दुर्गा पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और ‘ढाक’ की थाप से वातावरण गूंज उठा।
सुबह-सुबह ही बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों तक, बड़ी संख्या में लोग मां दुर्गा को ‘अंजलि’ (फूलों की भेंट) चढ़ाने के लिए एकत्र हुए। रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में ये भक्त, फूलों और बेलपत्रों से सजी थालियां लिए हुए थे और दूसरी तरफ पुजारी लगातार मंत्रों का जाप कर रहे थे।
कोलकाता की ऐतिहासिक शोभाबाजार राजबाड़ी, जो शहर की सबसे पुरानी पारिवारिक दुर्गा पूजाओं में से एक है, वहां बहुत ही शानदार तरीके से पूजा के सभी अनुष्ठान किए गए। इन सदियों पुरानी परंपराओं को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहां जमा हुए।
बेलूर मठ रामकृष्ण मठ और मिशन का मुख्यालय है और यहां इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु जुटे। इन भक्तों ने महा अष्टमी के खास अनुष्ठानों में हिस्सा लिया, जिसमें कुमारी पूजा भी शामिल थी। कुमारी पूजा में एक छोटी बच्ची को साक्षात् देवी मानकर उसकी पूजा की जाती है।
यह पूरा दिन संधि पूजा के साथ समाप्त हुआ। यह पूजा अष्टमी और नवमी के बीच होती है और इसे पूरे त्योहार का सबसे पवित्र समय माना जाता है। यह 48 मिनट का अनुष्ठान देवी दुर्गा की चंड और मुंड राक्षसों पर विजय की याद दिलाता है।
कोलकाता के कई बड़े पंडालों, जैसे संतोष मित्रा स्क्वायर, कुमारतुली पार्क, कॉलेज स्क्वायर, मुदियाली, बालीगंज कल्चरल और जोधपुर पार्क के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लगी थीं। मौसम में उमस होने के बावजूद लोग बड़ी संख्या में दर्शन के लिए खड़े थे।
राज्य के बाकी हिस्सों जैसे दुर्गापुर, आसनसोल, कल्याणी और सिलीगुड़ी में भी यह उत्सव उतने ही जोर-शोर के साथ मनाया गया।
यह बात दिखाती है कि दुर्गा पूजा का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व कितना अधिक है। इस पर्व को यूनेस्को द्वारा विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी मान्यता मिली हुई है