हार का गुस्सा छोड़ सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े विपक्ष: प्रधानमंत्री मोदी
Focus News 4 December 2023
नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विपक्षी दलों से आग्रह किया कि संसद के शीतकालीन सत्र में वे विधानसभा चुनावों में मिली पराजय का ‘गुस्सा’ ना निकालें बल्कि उससे सीख लेते हुए पिछले नौ सालों की नकारात्मकता को पीछे छोड़ें और सकारात्मक रूख के साथ आगे बढ़ें, तभी उनके प्रति लोगों का नजरिया बदल सकता है।
सत्र के पहले दिन मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यदि विपक्षी दल ‘विरोध के लिए विरोध’ का तरीका छोड़ दें और देश हित में सकारात्मक चीजों में साथ दें तो देश के मन में उनके प्रति आज जो नफरत है, हो सकता है वह मोहब्बत में बदल जाए।
चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों को ‘बहुत ही उत्साहवर्धक’ करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘देश ने नकारात्मकता को नकारा है।’’
चार में से तीन राज्यों में भाजपा ने रविवार को भारी बहुमत से जीत हासिल की। मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख राज्य में उसने सत्ता में वापसी की वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने में सफल रही। तेलंगाना में भले ही भाजपा सत्तासीन होने में विफल रही लेकिन दक्षिणी राज्य में उसने अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अगर मैं वर्तमान चुनाव नतीजे के आधार पर कहूं तो विपक्ष में जो बैठे हुए साथी हैं उनके लिए यह स्वर्णिम अवसर है। इस सत्र में पराजय का गुस्सा निकालने की योजना बनाने के बजाय, इस पराजय से सीखकर, पिछले नौ साल में चलाई गई नकारात्मकता की प्रवृत्ति को छोड़कर, इस सत्र में अगर सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ेंगे तो देश उनकी तरफ देखने का दृष्टिकोण बदलेगा।’’
मोदी ने कहा कि वे (विरोधी दल) विपक्ष में हैं, फिर भी वह उन्हें सकारात्मक सुझाव दे रहे हैं कि सकारात्मक के साथ ही हर किसी का भविष्य उज्ज्वल है और उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कृपा करके बाहर की पराजय का गुस्सा सदन में मत उतारना। हताशा, निराशा होगी… आपके साथियों को दम दिखाने के लिए कुछ न कुछ करना भी पड़ेगा…लेकिन कम से कम लोकतंत्र के इस मंदिर को वह मंच मत बनाइए।’’
मोदी ने कहा कि वह अपने लंबे अनुभव के आधार पर कह रहे हैं कि आप (विपक्ष) थोड़ा सा अपना रुख बदलिए और विरोध के लिए विरोध का तरीका छोड़ दीजिए।
उन्होंने कहा, ‘‘देश हित में सकारात्मक चीजों का साथ दीजिए। जो कमियां है उन पर चर्चा कीजिए। आप देखिए, देश के मन में आज जो (विपक्ष के प्रति) नफरत पैदा हो रही है… हो सकता है वह मोहब्बत में बदल जाए। तो मौका है यह। इसे जाने मत दीजिए।’’
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी अक्सर नफरत के माहौल में ‘मोहब्बत की दुकान’ खोलने की बात करते रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों से संसद सत्र में सहयोग करने की अपील करते हुए कहा कि इसी में उनकी भलाई है कि वह देश को सकारात्मकता का संदेश दें।
उन्होंने कहा, ‘‘और इसलिए हर बार मैं करबद्ध प्रार्थना करता रहा हूं कि सदन में सहयोग दीजिए। आज मैं राजनीतिक दृष्टिकोण से भी कहना चाहता हूं कि आपका भी भला इसमें है कि आप देश को सकारात्मकता का संदेश दें। आपकी छवि नफरत की और नकारात्मकता की नहीं बने। लोकतंत्र के लिए यह अच्छा नहीं है। लोकतंत्र में विपक्ष भी उतना ही महत्वपूर्ण है, उतना ही मूल्यवान है और उतना ही सामर्थ्यवान भी होना चाहिए। और लोकतंत्र की भलाई के लिए मैं फिर से एक बार अपनी ये भावना प्रकट करता हूं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो देश के सामान्य जन के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है, जो देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए समर्पित है और जो सभी समाजों व सभी समूहों की महिलाओं, युवाओं, किसानों और गरीबों का सशक्तीकरण सुनिश्चित करने पर दृढ़ हो, उसे जनता का भी भरपूर समर्थन मिलता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब सुशासन होता है तो सत्ता विरोधी लहर जैसे शब्द अप्रासंगिक हो जाते हैं। और हम लगातार ये देख रहे हैं।’’
मोदी ने कहा कि अब देश विकसित होने के लक्ष्य में लम्बा इंतजार करना नहीं चाहता है क्योंकि समाज के हर वर्ग में ये भाव पैदा हुआ है कि बस आगे बढ़ना है।
उन्होंने कहा, ‘‘सत्र के प्रारंभ में विपक्ष के साथियों के साथ हमारा विचार-विमर्श होता है। हमारी टीम उनसे चर्चा करती है। मिलकर के सबके सहयोग के लिए हम हमेशा प्रार्थना करते हैं। इस बार भी इस प्रकार की सारी प्रक्रियाएं कर ली गई हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘सार्वजनिक रूप से हमेशा, हमारे सभी सांसदों से आग्रह करता हूं कि लोकतंत्र का यह मंदिर जन आकांक्षाओं के लिए, विकसित भारत की नयी राह को अधिक मजबूत बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण मंच है। मैं सभी सांसदों से आग्रह कर रहा हूं कि वह ज्यादा से ज्यादा तैयारी करके आएं तथा सदन में जो भी विधेयक रखे जाएं, उन पर गहन चर्चा हो।’’
उन्होंने कहा कि एक सांसद जब सुझाव देता है तो उसमें जमीनी अनुभव का उत्तम तत्व होता है लेकिन अगर चर्चा ही नहीं होती है तो देश को इसकी कमी खलती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद भवन के नए परिसर का जब उद्घाटन हुआ था तब एक छोटा सा सत्र हुआ था और उसमें ऐतिहासिक निर्णय लिए गए थे।
उन्होंने कहा कि लेकिन इस बार लम्बे समय तक इस सदन में कार्य करने का अवसर मिलेगा और हो सकता है कि व्यवस्थाओं में कुछ कमियां महसूस हों लेकिन जैसे-जैसे यह ध्यान में आएगा उसे ठीक कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘आवश्यकता के अनुसार बदलाव की भी जरूरत होती है।’’
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया। यह सत्र इस महीने की 22 तारीख तक चलेगा। इस दौरान 19 दिन में 15 बैठकें प्रस्तावित हैं।