सोने का कच्चेमाल के रूप में उपयोग करने वाले विनिर्माताओं को कार्यशील पूंजी ऋण की अनुमति

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मुंबई, 30 सितंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को कच्चे माल के रूप में सोने का उपयोग करने वाले विनिर्माताओं को आवश्यकता-आधारित कार्यशील पूंजी ऋण देने की अनुमति दे दी है। यह प्रावधान वर्तमान में केवल जौहरियों के लिए उपलब्ध है।

बैंकों पर आमतौर पर किसी भी रूप में सोना/चांदी खरीदने या प्राथमिक सोने/चांदी की गारंटी पर ऋण देने से प्रतिबंध है।

आरबीआई ने हालांकि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) को आभूषण विक्रेताओं को कार्यशील पूंजी ऋण देने के लिए छूट दी है।

सोमवार को जारी भारतीय रिजर्व बैंक (स्वर्ण एवं रजत गारंटी पर ऋण) (प्रथम संशोधन) निर्देश 2025 ने ऐसे उधारकर्ताओं की आवश्यकता-आधारित कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए छूट का दायरा बढ़ाया है जो अपने विनिर्माण या औद्योगिक प्रसंस्करण गतिविधियों में कच्चे माल के रूप में सोने का उपयोग करते हैं।

निर्देशों में कहा गया, ‘‘ .. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक या ‘टियर’ तीन या चार 4 यूसीबी उन उधारकर्ताओं को आवश्यकता-आधारित कार्यशील पूंजी वित्त प्रदान कर सकते हैं जो सोने या चांदी का उपयोग कच्चे माल के रूप में या अपने विनिर्माण या औद्योगिक प्रसंस्करण गतिविधि में कच्चे माल के तौर पर करते हैं जिसके लिए ऐसे सोने या चांदी को सुरक्षा के रूप में भी स्वीकार किया जा सकता है।’’

‘टियर’ तीन व चार यूसीबी से तात्पर्य ऐसे शहरी सहकारी बैंक से हैं जो 1,000 करोड़ रुपये से अधिक और 10,000 करोड़ रुपये (टियर 3) या 10,000 करोड़ रुपये से अधिक (टियर 4) की जमा राशि वाले हैं।

इस तरह का वित्त प्रदान करने वाले बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा कि उधारकर्ता निवेश या सट्टा उद्देश्यों के लिए सोना न खरीदें या न रखें।

केंद्रीय बैंक ने उधारकर्ताओं को लाभान्वित करने और ऋणदाताओं को अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (अग्रिमों पर ब्याज दर) (संशोधन निर्देश) 2025 भी जारी किया है।

मौजूदा मानदंडों के अनुसार, बैंकों को सभी परिवर्तनशील (फ्लोटिंग) दर वाले व्यक्तिगत या खुदरा ऋणों (आवास, मोटर वाहन) और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) को दी गई परिवर्तनशील दर वाले ऋणों को रेपा दर जैसे बाह्य दरों से जोड़ना आवश्यक होगा।

यद्यपि बैंक बाह्य रेपो दर पर प्रसार का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं, ऋण जोखिम ‘प्रीमियम’ के अलावा, प्रसार के सभी घटकों को तीन वर्षों में केवल एक बार ही बदला जा सकता है।

अग्रिमों पर ब्याज दर पर संशोधित निर्देशों में कहा गया, ‘‘ बैंक उधारकर्ता के लाभ के लिए अन्य प्रसार घटकों को तीन वर्ष से पहले कम कर सकते हैं।’’

इसके अलावा इसमें कहा गया कि बैंक अपने विवेकानुसार, पुनर्निर्धारण के समय निश्चित दर का चयर करने (स्विच करने) का विकल्प प्रदान कर सकते हैं।

समान मासिक किस्तों (ईएमआई) आधारित व्यक्तिगत ऋणों के संबंध में वर्तमान मानदंडों के अनुसार, बैंकों को ब्याज दरों के पुनर्निर्धारण के समय उधारकर्ताओं को एक निश्चित दर का चयन करने के लिए एक अनिवार्य विकल्प प्रदान करना आवश्यक है।

केंद्रीय बैंक ने विदेशों में विदेशी मुद्रा/रुपया मूल्यवर्गित बांड में मूल्यवर्गित सतत ऋण उपकरणों (पीडीआई) पर लागू मौजूदा पात्र सीमा को संशोधित करने से जुड़े निर्देश भी जारी किए। इससे बैंकों को विदेशी बाजारों के माध्यम से अपनी ‘टियर-1’ पूंजी बढ़ाने के लिए अधिक गुंजाइश मिलती है।

ये सभी निर्देश एक अक्टूबर 2025 से लागू होंगे।

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