दुबई, पृथ्वी पर संकट की बात स्वीकार करने के साथ शुरू हुए जलवायु शिखर सम्मेलन में शनिवार को दूसरा दिन भी नेताओं के संबोधन के लिए निर्धारित किया गया है। आयोजकों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में ठोस कार्रवाई के लिए मंच तैयार किया जाएगा।
यह वार्षिक जलवायु शिखर सम्मेलन का 28वां संस्करण है, जिसे सीओपी28 का नाम दिया गया है। शुक्रवार को सम्मेलन में विभिन्न देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राष्ट्राध्यक्षों ने उत्सर्जन को कम करने के लिए अपनी योजनाएं पेश कीं और करीब आती दिख रही जलवायु त्रासदी को रोकने के लिए एक-दूसरे से साथ आने का आग्रह किया।
विश्व के लगभग 150 नेताओं की उपस्थिति के साथ शुरू हुआ यह सम्मेलन 12 दिसंबर को समाप्त होगा। अब भी 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों का संबोधन बाकी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। अमेरिका और चीन पर सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। बाइडन की जगह अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस शनिवार को सम्मेलन को संबोधित करेंगी।
इससे पहले शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अंटार्कटिका और नेपाल में ग्लेशियरों के पिघलने के संबंध में दुनिया के नेताओं से कहा, ‘‘आप ग्रहों को आपदा और जलने से बचा सकते हैं।’’
गुतारेस ने कहा, ‘‘जलवायु उथल-पुथल अन्याय की आग में घी डालने का काम कर रही है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण बजट बिगड़ रहा है, खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ रही हैं, ऊर्जा बाजार में उछाल आ रहा है और जीवनयापन की लागत बढ़ने से संकट बड़ा हो गया है।’’
जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला ने कहा कि गाजा में जारी युद्ध से जलवायु परिवर्तन को अलग करना असंभव है।
अब्दुल्ला ने कहा, “जलवायु संबंधी खतरे युद्ध की तबाही को बढ़ाते हैं। आइए युद्ध से गंभीर रूप से प्रभावित सबसे संवेदनशील फलस्तीनियों को साथ लेकर चलें।”