बेंगलुरु, 27 सितंबर (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को एक रूसी महिला और उसकी दो नाबालिग बेटियों की स्वदेश वापसी के लिए यात्रा दस्तावेज जारी करने की अनुमति दे दी, जिन्हें कर्नाटक में एक तटवर्ती क्षेत्र की एक गुफा में पाया गया था।
न्यायमूर्ति बी एम श्याम प्रसाद ने यह आदेश इजराइली नागरिक ड्रोर श्लोमो गोल्डस्टीन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। गोल्डस्टीन का दावा है कि वह बच्चों का पिता है।
गोल्डस्टीन ने अदालत से केंद्र को नाबालिग बच्चों को तुरंत निर्वासित नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
नीना कुटीना के रूप में पहचानी गई महिला 11 जुलाई को कुमता तालुका में गोकर्ण के पास रामतीर्थ पहाड़ियों की एक गुफा में पायी गई थी।
अधिकारियों ने बताया कि वह और उसके बच्चे बिना वैध यात्रा या निवास दस्तावेजों के लगभग दो महीने से वहां रह रहे थे।
गोल्डस्टीन ने इससे पहले पिछले साल दिसंबर में भारत में अपने बच्चों का पता लगाने में असमर्थ होने पर गोवा के पणजी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
अदालत ने शुक्रवार की सुनवाई के दौरान दर्ज किया कि रूसी वाणिज्य दूतावास ने कुटीना और उनकी बेटियों के लिए आपातकालीन यात्रा दस्तावेज जारी किए थे, जो केवल नौ अक्टूबर तक वैध थे।
अदालत ने वाणिज्य दूतावास को कुटीना द्वारा स्वयं भेजे गए पत्र पर भी ध्यान दिया, जिसमें उन्होंने जल्द से जल्द रूस लौटने की इच्छा व्यक्त की थी।
गोल्डस्टीन के वकील ने निर्वासन का विरोध करते हुए दलील दी थी कि ऐसा कदम बच्चों के सर्वोत्तम हितों के विरुद्ध होगा, जबकि हिरासत की कार्यवाही अब भी लंबित है।
हालांकि, अदालत ने पाया कि गोल्डस्टीन ने इस बात का कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया कि बचाए जाने से पहले मां और बच्चे एक गुफा में अलग-थलग क्यों रह रहे थे।
बच्चों के कल्याण के सिद्धांत पर जोर देते हुए पीठ ने कहा कि रूस वापस जाने के लिए मां का अनुरोध और उनकी स्वदेश वापसी में सहायता के लिए रूसी सरकार की तत्परता अन्य बातों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
एएसजी ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि दूसरी बेटी की डीएनए रिपोर्ट प्राप्त हो गई है और रूसी सरकार को सूचित कर दिया गया है, जिसने उन्हें रूस की यात्रा करने में सक्षम बनाने के लिए रूसी नागरिकता और आपातकालीन यात्रा दस्तावेज (ईटीडी) जारी किए हैं।