‘आई लव मुहम्मद’ पोस्टर से जुड़ी गिरफ़्तारियों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर

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नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (एमएसओ) और सुन्नी समूह रजा अकादमी ने ‘आई लव मुहम्मद’ लिखे पोस्टरों से संबंधित कई प्राथमिकी और गिरफ्तारियों को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। उन्होंने दावा किया है कि ये पोस्टर “भक्ति की अभिव्यक्ति” थे।

जनहित याचिका में दावा किया गया है कि दर्ज की गई प्राथमिकी ‘सांप्रदायिक प्रकृति’ की हैं और याचिकाकर्ताओं के ‘मौलिक अधिकारों’ का उल्लंघन करती हैं।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि ये प्राथमिकी उत्तर प्रदेश के कैसरगंज और बहराइच सहित विभिन्न स्थानों पर “मुस्लिम समुदाय के उन साधारण नागरिकों के खिलाफ दर्ज की गईं, जिन्होंने केवल धार्मिक त्योहारों को मनाने और पोस्टरों, बैनरों तथा शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने की कोशिश की।”

याचिका में कहा गया है, “हालांकि, किसी भी ठोस या स्वतंत्र साक्ष्य के बिना, बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा उन्हें कई आपराधिक मामलों में फंसाया गया है, जिन्होंने उन पर दंगा भड़काने, आपराधिक धमकी और शांति भंग करने के आरोप लगाए।”

यह विवाद नौ सितंबर को शुरू हुआ, जब कानपुर पुलिस ने बारावफात जुलूस के दौरान सार्वजनिक सड़क पर ‘आई लव मुहम्मद’ लिखे बोर्ड लगाने के आरोप में नौ नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।

हिंदू समूहों ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे “परंपरा से विचलन” और “जानबूझकर उकसावे” वाला कृत्य बताया था।

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