नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीएससी (ऑनर्स) नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए केवल महिला उम्मीदवारों को आवेदन करने की अनुमति देने वाले प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र और शहर सरकार से अपना रुख बताने को कहा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने ‘इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन’ की जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया और सरकारों के अलावा संस्थानों एवं भारतीय नर्सिंग परिषद को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील रॉबिन राजू ने कहा कि याचिका में लैंगिकता आधारित पात्रता को चुनौती दी गई है। उन्होंने कहा कि देश में नर्सों की कमी को देखते हुए लैंगिक भेदभाव के विपरीत सभी व्यक्तियों को पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए आवेदन करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता देशभर में नर्सों के कल्याण के लिए काम करने वाली एक गैर-सरकारी पंजीकृत संस्था है और वह ‘‘इस चिंता को उजागर करने के लिए तत्काल याचिका दायर कर रही है कि आज भी पुरुष और तीसरे लिंग के उम्मीदवारों को प्रतिवादियों से संबद्ध नर्सिंग कॉलेज द्वारा निर्धारित प्रवेश प्रक्रिया में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।’’
इसमें कहा गया है कि महिलाओं के अलावा किसी अन्य समूह के लोगों को दिल्ली के प्रमुख और किफायती नर्सिंग कॉलेजों में बीएससी (एच) नर्सिंग पाठ्यक्रम का अध्ययन करने का अवसर नहीं देना मनमाना और लोकतंत्र, निष्पक्षता एवं समानता के सिद्धांतों के खिलाफ है।