स्वामी चिदानन्द सरस्वतीने नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग उत्तरकाशी में किया पौधारोपण

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ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भारत में सर्वश्रेष्ठ पर्वतारोहण संस्थानों में से एक नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, उत्तरकाशी में पौधा रोपण किया। परमार्थ निकेतन की टीम ने एनआईएम के अधिकारियों व बच्चों के साथ मिलकर रूद्राक्ष के पौधों का रोपण कर पौधों के संरक्षण का संकल्प कराया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन, सान्निध्य और नेतृत्व में जल विद्युत निगम, नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग उत्तरकाशी और अन्य आसपास के क्षेत्रों में नौ हजार दो सौ रूद्राक्ष के पौधों का रोपण। इस अवसर पर कर्नल अमित बिष्ट, जल विद्युत निगम के अमन बिष्ट, श्री नाथ का अभिनन्दन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पौधारोपण भूमि पुनरुद्धार की दिशा में प्रभावी और सटीक कदम है। वर्तमान समय में पृथ्वी का औसत तापमान में वृद्धि हो रही है तथा पिछले कुछ वर्षों में जलवायु स्थितियों में बहुत तेजी से बदलाव हो रहा है। पहाड़ों पर भी सर्दियाँ छोटी होती जा रही है और गर्मियाँ लंबी। जलवायु परिवर्तन की इस स्थिति के कारण पूरी दुनिया के सामने सुरक्षित भविष्य को लेकर प्रश्न खड़ा हो गया है। स्वामी जी ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्या का समाधान ढूंढने हेतु विश्व भर में प्रयास किये जा रहे हैं परन्तु जब तक सभी मिलकर प्रयास नहीं करेंगे तब तक इस विकराल समस्या का समाधान नहीं हो सकता। पूरी दुनिया के सभी लोगों तथा सभी राष्ट्रों को वायु और जल की आवश्यकता है इसलिये प्रयास भी सभी को मिलकर करना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि अपने जीवन व्यवहार से प्लास्टिक और कार्बन की मात्रा में कमी लाकर पारिस्थितिक तंत्र को सुरक्षित और जलवायु को अनुकूल किया जा सकता है। पहाड़ों पर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करने के साथ ही वृक्षों की प्रजातियों के चयन पर भी ध्यान देना होगा ताकि उत्कृष्ट पर्यावरणीय तथा विकासात्मक परिणामों को प्राप्त किया जा सके।

स्वामी जी ने एनआईएम के छात्रों का आह्वान करते हुये कहा कि पौधारोपण के साथ ही हमें मॉनिटरिंग सिस्टम को भी स्थापित करना होगा ताकि पौधे की निगरानी की जा सके। स्वामी जी ने कहा कि एनआईएम बच्चों को पहाड़ों और प्रकृति से परिचित कराने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण के लिये जागरूक कर रहा है यह वास्तव में अद्भुत कार्य है। एडवेंचर के साथ ही पहाड़ी संस्कृति की पारंपरिक पर्यावरण संरक्षण की प्रणालियों को जीवंत और जाग्रत बनाये रखना जरूरी है। इस अवसर पर अरूण सारस्वत, श्री अमन बिष्ट, श्री लोकेन्द्र बिष्ट, भगत सिंह, नारायण, ऋषिकुमार रामप्रसाद, पुनीत उपस्थित थे।

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