श्रीनगर, 23 सितंबर (भाषा) जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने मंगलवार को कहा कि इस केंद्र शासित प्रदेश की निर्वाचित सरकार कई चुनौतियों का सामना कर रही है, लेकिन इसके बाद भी वह अपनी ‘सीमित शक्तियों’ के साथ लोगों के अधिकारों के लिए संघर्षरत है।
चौधरी ने गंदेरबल जिले में संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ लोग चाहते हैं कि हम इस्तीफा दे दें लेकिन हम भागने वालों में से नहीं हैं। हम शेर-ए-कश्मीर के कार्यकर्ता हैं, हम लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे और लड़ेंगे। हम पीठ नहीं दिखाएंगे।’’
उपमुख्यमंत्री से सवाल पूछा गया था कि क्या निर्वाचित सरकार चुनावी वादों को पूरा करने में सक्षम रही है जिसका वह जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘आपको यह समझना होगा कि हमारे पास राज्य सरकार नहीं है। अतीत में हमें पीडीपी के कारण ही विशेष दर्जा एवं राज्य का दर्जा गंवा बैठने का उपहार मिला, फलस्वरूप एक केंद्र शासित प्रदेश की सरकार सत्ता में आयी है जिसके पास सीमित संसाधन और सीमित शक्तियां हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें पूरी छूट नहीं मिली हुई है क्योंकि हमारे यहां अब भी दोहरी शासन प्रणाली है जिसमें एक निर्वाचित सरकार और एक नियुक्त प्रशासन है।’’
चौधरी ने कहा कि कठिनाइयों और बाधाओं के बावजूद नेशनल कांन्फ्रेंस (नेकां) सरकार लोगों की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम नेकां के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा किए गए सभी वादों को पूरा करेंगे। हम संघर्ष के दौर से गुज़र रहे हैं और हमें अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए 10 महीने नहीं बल्कि पांच साल का जनादेश दिया गया है। तब, आप हमसे पूछ सकते हैं कि हमने कौन से वादे पूरे किए और कौन से नहीं।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या आगामी विधानसभा सत्र में राज्य का दर्जा और संविधान के अनुच्छेद 35ए की बहाली का मुद्दा उठाया जाएगा तो उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमने आज मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर चर्चा की है। हमने राज्य के दर्जे पर अपना रुख दोहराया है। राज्य के दर्जे की बात तो छोड़ ही दीजिए, उपराज्यपाल साहब तो कामकाज के नियमों को लेकर भी सोए हुए हैं। आपके सवाल बिल्कुल जायज़ हैं लेकिन आपको उन परिस्थितियों को समझना होगा जिनसे हम गुज़र रहे हैं।’’
चौधरी ने विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पीडीपी पर क्षेत्र के विकास की अनदेखी करने का आरोप लगाया। ये दोनों पार्टियां 2015 से 2018 तक गठबंधन में जम्मू कश्मीर पर शासन कर रहीं थीं।