प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत खुद को ‘‘विश्वमित्र’’ के रूप में देखता है और दुनिया इसे अपना मित्र कहती है।
मोदी ने हैदराबाद से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित कान्हा शांति वनम में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि अतीत में देश को गुलाम बनाने वालों ने भारत की ‘‘मूल ताकत’’ —योग, ज्ञान और आयुर्वेद जैसी उसकी परंपराओं पर हमला किया, जिससे उसे भारी नुकसान झेलना पड़ा।
उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि गुलामी जब भी और जहां भी आयी, उस समाज की मूल ताकत को निशाना बनाया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत को गुलाम बनाने वालों ने योग और आयुर्वेद जैसी इसकी परंपराओं पर हमला किया। ऐसी कई महत्वपूर्ण परंपराएं थीं और उन पर हमला किया गया और इससे देश को भारी नुकसान हुआ।”
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि समय बदलता है, भारत भी बदल रहा है। यह आजादी का ‘अमृत काल’ (75 वर्ष) है। भारतीय जो भी निर्णय लेंगे, हम जो काम करेंगे वह आने वाली पीढ़ियों का भविष्य तय करेंगे।”
उन्होंने इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से अपनी ‘पंच प्रण’ घोषणा को याद किया – एक विकसित भारत के लिए संकल्प, औपनिवेशिक मानसिकता के किसी भी निशान को हटाना, हमारी विरासत और एकता पर गर्व करना और सभी के कर्तव्यों को पूरा करना।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, सरकार ने देश की सांस्कृतिक विरासत को हर तरह से सशक्त बनाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि चाहे वह योग या आयुर्वेद के संबंध में हो, आज भारत की चर्चा ज्ञान के केंद्र के रूप में की जा रही है।
उन्होंने उल्लेख किया कि देश के प्रयासों के कारण संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत सुनिश्चित करने के लिए हमें चार स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है जिनमें महिलाएं और युवा शामिल हैं। उन्होंने कहा, “गरीब, मछुआरे, किसान, छात्र, युवा…उनका सशक्तीकरण समय की मांग है और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहले लोगों को लाभ प्राप्त करने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन आज सरकार लाभार्थियों तक पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचना चाहिए और कोई भी पीछे नहीं रहना चाहिए।
मोदी ने कहा कि भारत खुद को “विश्वामित्र” – दुनिया के मित्र – के रूप में देखता है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक विकासशील भारत खुद को विश्वमित्र के रूप में देखता है। जिस तरह से हम कोरोना (वायरस) के बाद दुनिया के साथ खड़े थे, आज मुझे दुनिया को यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि भारत आपका मित्र है; दुनिया कहती है कि भारत हमारा मित्र है।’’
प्रधानमंत्री मोदी का इशारा परोक्ष तौर पर 2020 में महामारी के बाद देश की कंपनियों द्वारा तैयार किए गए कोविड-19 रोधी टीकों को कई देशों में भेजने की ओर था।