संक्रमण रोधी है गुलाब का फूल

गुलाब के फूल से बच्चे-बड़े सभी परिचित हैं। गमले में उगाकर इसका फूल पाया जा सकता है अथवा इसका फूल बाजार में मिल जाता है। बाजार में बना बनाया गुलाब जल और गुलकंद भी मिलता है। इन दोनों को औषधि या विविध प्रयोजन में उपयोग किया जाता है। यह सुंदरता व सुंगध के कारण ज्यादा जाना जाता है किंतु इसके फूलों में अनेक गुण भी हैं जो गुलाब जल अथवा गुलकंद के अलावा भी अनेक रोगों में दवा की भांति प्रयोग किये जा सकते हैं।


दवा के रूप में गुलाब जल एवं गुलकंद के उपयोग को सभी जानते हैं किंतु इसके फल को दवा के रूप में उपयोग बहुत कम लोग करते हैं। गुलाब का फूल संक्रमण रोधी है। यह मूत्रा समस्या एवं मूत्रा मार्ग संक्रमण की सटीक दवा है। यह पेशाब करते समय जलन, गर्मी व रूक रूक कर पेशाब आने की समस्या को दूर करता है। खुलकर पेशाब लाता है। पथरी होने से बचाता है।


यह दांतों की कमजोरी दूर करता है उनमें मजबूती लाता है। मुंह की दुर्गंध को दूर करता है। मसूड़ों के रोग मिटाता है। यह मुंहासों की दवा है और रक्त शोधक है। रात को इसका गुलकंद एक चम्मच खाकर एक कप दूध पीने से कब्ज दूर होता है। गुलकंद शरीर में ऊर्जा व स्फूर्ति का संचार करता है।


गुलाब जल पकवानों व पान में उपयेग किया जाता है। यह उबटन एवं नहाने के प्रयोजन हेतु पानी में डालकर भी उपयोग किया जाता हैं। इसे होंठों व त्वचा के फटने पर दवा बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।


रूक सकती है बढ़ती उम्र

उम्र का बढ़ना एवं तदनुरूप शरीर पर प्रभाव एक स्वाभाविक प्रक्रिया है किंतु खान-पान एवं जीवनचर्या को विवेक पूर्ण करके बढ़ती उम्र के प्रभाव को काबू किया जा सकता है।


 खानपान, शारीरिक श्रम एवं जीवनशैली में तालमेल होना ज्यादा जरूरी है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ खान पान में कमी होनी चाहिए किंतु भोजन उचित और पौष्टिक हो।


जीवन तनाव मुक्त हो। नींद गहरी व भरपूर हो। जीवन की हर गतिविधि अनुशासित व संयमित हो। फल, सब्जी सलाद को खानपान में स्थान मिले। तेल, शक्कर, नमक आदि की मात्रा न्यून हो। मैदे व जंक फूड से दूर रहें। अनाज व दाल की मात्रा कम हो। पानी भरपूर पिएं। नहाने के बाद पानी को पोंछें नहीं। अपने आप सूखने दें।


हानिकारक होता है पाउडर वाला दूध

खानपान की आधुनिक संस्कृति के कारण दूध की खपत में वृद्धि हुई है। मांग की अधिकता के कारण पाउडर दूध के उत्पादन एवं खपत में भी वृद्धि हुई है। वहीं आधुनिक माताएं भी नवजात शिशु को स्तनपान न कराकर बाहरी दूध या पाउडर वाला दूध पिलाने लगी हैं जबकि शिशु के सम्पूर्ण विकास व स्वास्थ्य के लिए मां का दूध ही श्रेष्ठ है। फिर भी उसे बाहरी दूध पिलाया जाता है।


बाहरी दूध में गाय का दूध कुछ ठीक है जबकि पाउडर का दूध हानिकारक है। पीने वाले बच्चे पर उसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसमें कई ऐसे तत्व भी मिलाए होते हैं जो हड्डियों को कमजोर करते हैं। नर्वस सिस्टम को निर्बल करते हैं। विकास सही नहीं हो पाता है। इस खतरनाक पाउडर दूध ’फार्मूला बेबी मिल्क‘ से बच्चे को बचाएं।


सूर्य प्रकाश का गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव

सूर्य के प्रकाश का प्रभाव बाहरी जीवों एवं वस्तुओं के अलावा गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है। सुबह की धूप का बड़ा महत्त्व है। उसकी कोमल धूप में विटामिन डी का भंडार होता है जिसे हमारी त्वचा सूर्य से प्राप्त कर शरीर में संग्रहित करती है। यह विटामिन डी ही कैल्शियम व खनिज तत्वों के साथ मिलकर हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।


गर्भवती महिला यदि सुबह की कोमल धूप का लाभ लेती है तो उसके गर्भस्थ शिशु की हड्डियां मजबूत रहेंगी, साथ ही उसका दिमाग भी स्वस्थ व तेज रहेगा। उसका सही शारीरिक विकास होगा। वह किसी भी मस्तिष्क की बीमारी से दूर रहेगा। तीखी धूप की तुलना में कोमल धूप लाभदायी है।


दांतों की दोस्त लौंग

लौंग को मसाले की श्रेणी का माना जाता है। यह सब्जी, पकवानों एवं मिष्ठानों व मसाले में उपयोग की जाती है। यह पान के साथ खायी जाती है। मुखशुद्धि के लिए सीधे खायी जाती है। इसका भुना रूप कफ खांसी ठीक करता है। यह कीट नाशक एवं रोग प्रतिरोधक के रूप में भी काम करती है।


यह दांत दर्द दूर करती है। इसका तेल निकाला जाता है जो दांत दर्द, सर्दी, फ्लू, फंगल इंफेक्शन की स्थिति में दवा के रूप में काम करता है। इस छोटी सी लौंग में दर्द निवारक सात प्रकार के रसायन मौजूद हैं। लौंग तीखी चरपरी जरूर है पर बहुत गुणकारी है। यह पान दुकान, किराना दुकान व घर की रसोई में भी मिल जाती है।


मिलनसार डॉक्टर के मरीज जल्दी होते हैं ठीक

उपचारकर्ता डॉक्टर की मिलनसारिता एवं डॉक्टर के स्वास्थ्य का प्रभाव मरीज पर भी पड़ता है। ऐसे डॉक्टरों से रोगी जल्द प्रभावित होते हैं। डॉक्टर से अपनापन पाकर मरीज डॉक्टर की बातों व स्पर्श मात्रा से अपने को पहले से बेहतर समझते हैं। यही भाव मरीज के जल्द स्वस्थ होने में मददगार होता है।


मिलनसार डॉक्टर से मरीज घुल मिल जाता है और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित मरीज पर दवा का जल्द प्रभाव पड़ता है और वह शीघ्र स्वस्थ हो जाता है। ऐसे डॉक्टरों की हर बाते पर मरीज भरोसा करने लगते हैं। यहां मरीज पर दवा से ज्यादा डॉक्टर की बातों के मलहम का प्रभाव पड़ता है।