अगरतला, 16 सितंबर (भाषा) त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश सरकार आदिवासी समुदाय के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर रही है।
उन्होंने आदि कर्मयोगी अभियान पर राज्य स्तरीय ‘अनुकूलन (ओरिएंटेशन)’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाए गए हैं।
दुनिया के सबसे बड़े जमीनी स्तर के आदिवासी नेतृत्व कार्यक्रम के रूप में प्रचारित ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ का उद्देश्य एक लाख गांवों में 20 लाख ‘चेंज लीडर्स(बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध लोगों)’ को संगठित करना है।
साहा ने कहा कि 1,400 करोड़ रुपये की त्रिपुरा ग्रामीण आर्थिक विकास और सेवा वितरण परियोजना (टीआरईएसपी)राज्य में लगातार प्रगति कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने आदिवासी लोगों के कल्याण के लिए ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ के तहत पांच वर्षों के लिए 81.69 करोड़ रुपये भी स्वीकृत किए हैं।
मुख्यमंत्री ने आदिवासी बच्चों की शिक्षा पर विशेष जोर दिए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य में छह एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय पहले ही चालू हो चुके हैं जबकि छह और विद्यालयों का जल्द ही उद्घाटन किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “सरकार का मानना है कि अगर आदिवासी बच्चों को उचित शिक्षा दी जाए, तो उन्हें गुमराह किये जाने की संभावना कम हो जाएगी।”
साहा ने कहा कि आदिवासी विद्यार्थियों के लिए दैनिक वजीफा 40 रुपये से बढ़ाकर 80 रुपये कर दिया गया है। वर्तमान में राज्य में 404 छात्रावासों में 34,018 आदिवासी छात्र रह रहे हैं।
साहा ने कहा कि उनकी सरकार सामुदायिक नेताओं को दिए जाने वाले मानदेय में भी वृद्धि करने पर विचार कर रही है।
उन्होंने कहा, “जब हम सत्ता में आए थे, तब केवल कुछ ही सामुदायिक मुखियाओं को 2,000 रुपये प्रति माह मिलते थे। हमने इसे बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति माह कर दिया है। अब हम सभी उप-जनजातियों के मुखियाओं को यह लाभ प्रदान करने की योजना बना रहे हैं।”
राज्य में 19 जनजातियां और 40 उप-जनजातियां हैं।
जनजातीय कल्याण मंत्री विकास देबबर्मा और जनजातीय कल्याण निदेशक सुभाशीष दास भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।