सावधानी बरतें मिठाई खरीदते समय

अब त्यौहारों का मौसम शुरू होने वाला है। हिन्दू त्यौहार बिना मिठाई और पकवान के फीके से लगते हैं। हर परिवार, हर घर में त्यौहारों पर मिठाई आती है। दुर्गापूजा, लक्ष्मी पूजन में मिठाई से ही भगवान जी को भोग लगाया जाता है।


अब तो मिठाइयों का प्रचलन लेन-देन में भी बढ़ता जा रहा है। कुछ खुशी होने पर मुंह मीठा करने की रस्म तो बहुत पुरानी है। बड़े त्यौहारों पर हलवाई लोग कुछ दिन पहले से तैयारी करनी शुरू कर देते हैं। अधिकतर मिठाइयां दूध से तैयार की जाती है। दूध को खूब पका कर मावा, पनीर तैयार किया जाता है जिससे मिठाइयां बनाई जाती हैं। दूध की मिठाई थोड़ी भी पुरानी हो जाये तो उसका स्वाद खराब हो जाता है जिसके सेवन से मजा किरकिरा हो जाता है। कभी कभी तो मजे के स्थान पर पेट में तेजाब बनना, जी मिचलाना, पेट में अफारा, उल्टी-दस्त लगने की शिकायतें अलग से होने लगती है।


दूध से बनी मिठाइयां 3-4 दिन में खराब हो जाती हैं। खरीदते समय यह ध्यान रखें कि मिठाई यदि आप अपने घर के लिए खरीद रहे हैं तो दूध से बनी मिठाई को एक या दो दिन में खा कर खत्म कर दें और हलवाई से लाने पर डिब्बा खोलकर जांच कर लें कि सब ठीक-ठाक है, फिर उसे फ्रिज में रख दें।


अगर आप किसी और के लिए मिठाई खरीद रहे हैं तो कोशिश करें कि खोये, छैने या पनीर से बनी मिठाई न लें। मिठाई लेने से पूर्व हलवाई से उस मिठाई के छोटे टुकड़े को चख कर खरीदें। दूध से बनी मिठाई खरीदते समय विशेष सावधानी बरतें।


दूध से बनी मिठाईयां जैसे रसगुल्ला, चमचम, राजभोग आदि पुरानी पड़ने पर अपना रंग खो देती हैं। इनका रंग पीला या हल्का भूरा हो जाता है। ऐसी मिठाई कभी न खरीदें।


खोए से बनी मिठाई यदि पुरानी होगी तो अंगुली से छूते ही भुर जायेगी। ऐसी मिठाई कभी न खरीदें।


खट्टे या कड़वे स्वाद की मिठाई भी न खरीदें क्योंकि इसका सेवन खतरनाक हो सकता है।