पर्यावरण मंत्री ने ग्रेट निकोबार पर चिंताओं का समाधान नहीं किया, आदिवासी समुदायों को खतरा: रमेश

0
sder23wqa

नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ग्रेट निकोबार परियोजना पर सोनिया गांधी द्वारा एक अखबार में लिखे गए लेख के बाद जो जवाब दिया उसमें इस परियोजना से संबंधित मुख्य चिंताओं का समाधान नहीं किया गया।

रमेश ने यह भी दावा किया कि यह परियोजना ग्रेट निकोबार के आदिवासी समुदायों को विस्थापित करेगी और उनके अस्तित्व तथा कल्याण के लिए खतरा पैदा करेगी।

पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “ग्रेट निकोबार मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर सार्वजनिक बहस जारी है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष (सोनिया गांधी) ने आठ सितंबर को एक लेख लिखा। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने चार दिन बाद इस पर प्रतिक्रिया दी। लेकिन उनके जवाब में उठाई जा रही मुख्य चिंताओं का समाधान नहीं किया गया।”

उन्होंने कहा, “पर्यावरणीय प्रभाव आकलन जल्दबाजी में किया गया, अधूरा और त्रुटिपूर्ण था। परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद आगे के प्रभाव अध्ययनों को अनिवार्य करना इसकी सीमाओं को दर्शाता है। यह आश्चर्यजनक है कि यह आकलन इसके लिए संदर्भ शर्तें जारी होने से पहले ही शुरू हो गया था।”

रमेश के अनुसार, यह परियोजना निस्संदेह ग्रेट निकोबार के आदिवासी समुदायों को अस्त-व्यस्त और विस्थापित करेगी और उनके अस्तित्व तथा कल्याण के लिए खतरा पैदा करेगी।

उन्होंने कहा कि यह सभी मौजूदा नियमों, नीतियों और कानूनों के विरुद्ध होगा।

कांग्रेस महासचिव का कहना है कि शोम्पेन समुदाय और निकोबारी लोगों का अध्ययन करते हुए अपना पूरा पेशेवर जीवन बिताने वाले विशेषज्ञों की वीडियो रिपोर्ट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, “यह विचार कि अतिरिक्त क्षेत्रों को जनजातीय आरक्षित क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित करने से विमुक्त किए जा रहे क्षेत्रों की क्षतिपूर्ति हो जाएगी, स्वदेशी लोगों की ज़रूरतों के साथ-साथ ग्रेट निकोबार की जैव-भूभौतिकीय विविधता के बारे में समझ की कमी को दर्शाता है।”

रमेश ने दावा किया, “पारिस्थितिक रूप से, हरियाणा में पेड़ लगाने (जो वैसे भी किया जाना ज़रूरी है) से ग्रेट निकोबार द्वीप समूह में बहु-प्रजातियों, जैव विविधता से भरपूर वनों की कटाई की भरपाई नहीं होगी। यह वास्तव में एक फर्जी तुलना है।”

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संस्थानों के वैज्ञानिकों ने स्वयं इस परियोजना के पक्ष में रिपोर्ट देने के लिए कहे जाने की बात कही है, यहां तक कि कुछ को परियोजना को क्लीन चिट देने के दबाव के कारण इस्तीफा भी देना पड़ा है।

कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बीते आठ सितंबर को एक लेख में कहा था कि ग्रेट निकोबार परियोजना एक ‘सुनियोजित दुस्साहस, न्याय का उपहास और राष्ट्रीय मूल्यों के साथ विश्वासघात’ है, जिसके खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए।

इसके बाद यादव ने एक लेख में कहा था कि ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना रणनीतिक, रक्षा और राष्ट्रीय महत्व की है, जिसे इस द्वीप को हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री और हवाई संपर्क के लिए एक प्रमुख केंद्र में बदलने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

उन्होंने यह भी कहा था कि ग्रेट निकोबार द्वीप को विकसित करने का निर्णय इसके पारिस्थितिकीय, सामाजिक और रणनीतिक पहलुओं पर उचित विचार के बाद लिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *