आईडब्ल्यूटी के तहत आने वाली नदियों का पानी भारत की ओर मोड़ने के लिए सभी प्रयास जारी: पाटिल

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नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने सोमवार को कहा कि सरकार भारतीय राज्यों में पानी की कमी को पूरा करने के लिए निलंबित सिंधु जल संधि के तहत आने वाली नदियों का पानी मोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा कि इस मामले के अंतरराष्ट्रीय निहितार्थ हैं, इसलिए वह ज्यादा बात नहीं करना चाहेंगे। हालांकि उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लिए गए निर्णय को गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की भागीदारी से लागू किया जा रहा है। इससे देश को बड़ा लाभ होगा।”

पाटिल ने आधार इंफ्रा कॉन्फ्लुएंस 2025 के दौरान एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं ताकि बहुत जल्द इस पानी को मोड़ा जा सके और हमारे देश में पानी की कमी का सामना कर रहे राज्यों को पानी मिल सके। वहां के किसान समृद्ध होंगे और लोगों की पानी की समस्या का समाधान होगा।”

उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था।

नदियों के पुनरुद्धार पर अपनी बात रखते हुए, पाटिल ने नमामि गंगे कार्यक्रम की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि कुंभ के दौरान लगभग 60-70 लाख श्रद्धालुओं के पवित्र स्नान के बावजूद, अपशिष्ट जल के उपचार के कारण नदी स्वच्छ बनी रही।

उन्होंने कहा, “हरिद्वार से लेकर बंगाल तक, 211 सीवेज उपचार संयंत्र चालू हैं। अगले एक से डेढ़ साल के भीतर, प्रमुख नालों (कानपुर और वाराणसी में) के पानी को भी पूरी तरह से उपचारित कर दिया जाएगा, जिससे गंगा जल की गुणवत्ता में और सुधार होगा।”

यमुना नदी की सफाई के मुद्दे पर, मंत्री ने कहा कि सफाई के लिए तैनात कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से चलने वाली नावों ने 45 दिन के अंदर नदी से कचरा हटा दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें भी उनके मंत्रालय के सहयोग से नदी को साफ बनाने पर काम कर रही हैं।

पाटिल ने कहा कि कुछ निजी कंपनियों ने नदी सफाई में भागीदारी करने में रुचि दिखाई थी, लेकिन परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ पाईं। उन्होंने कहा, “इसीलिए सरकार खुद इस काम के लिए धन मुहैया करा रही है, जिसमें बांधों और नदियों से गाद निकालना भी शामिल है।”

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