नयी दिल्ली, भारत द्वारा शुक्रवार को आयोजित ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन का दूसरा संस्करण विभिन्न वैश्विक घटनाक्रमों से उत्पन्न चुनौतियों और अधिक समावेशी विश्व व्यवस्था सुनिश्चित करने के तरीकों पर केंद्रित होगा। यह जानकारी विदेश मंत्रालय (एमईए) ने दी।
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है, ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।
डिजिटल तरीके से आयोजित इस शिखर सम्मेलन को 10 सत्रों में संरचनाबद्ध किया जाएगा जिसमें व्यापार, ऊर्जा और जलवायु वित्त जैसे विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा। उद्घाटन और समापन सत्र राष्ट्र एवं सरकार प्रमुख के स्तर पर होंगे और इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।
विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा, ‘‘भारत 17 नवंबर को डिजिटल प्रारूप में दूसरे ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।’’
भारत ने 12 और 13 जनवरी को ‘आवाज की एकता, उद्देश्य की एकता’ विषय के साथ ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ के पहले संस्करण की मेजबानी की थी।
यह अनूठी पहल ‘ग्लोबल साउथ’ के 125 देशों को एकसाथ लायी थी और उन्होंने शिखर सम्मेलन में अपने दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा किया था।
शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में शुरुआती ‘लीडर्स सेशन’ का विषय “एकसाथ, सभी के विकास के लिए, सभी के विश्वास के साथ” होगा और समापन सत्र का विषय ‘‘ग्लोबल साउथ: एक भविष्य के लिए एकसाथ’’ होगा।
भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत सितंबर में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में अफ्रीकी संघ (एयू) दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह का नया स्थायी सदस्य बन गया। यह 1999 में स्थापना के बाद से इस प्रभावशाली समूह का पहला विस्तार था।
भारत अफ्रीकी संघ को जी20 सदस्य के रूप में शामिल करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा था ताकि शीर्ष वैश्विक निकाय में अफ्रीकी महाद्वीप का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
अफ्रीकी संघ एक प्रभावशाली संगठन है जिसमें अफ्रीकी महाद्वीप के 55 सदस्य-देश शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ग्लोबल साउथ या विकासशील देशों, विशेषकर अफ्रीकी महाद्वीप की चिंताओं, चुनौतियों और आकांक्षाओं को उजागर करने वाली एक अग्रणी आवाज के रूप में खुद को स्थापित कर रहा है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘जी20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान, भारत ने यह सुनिश्चित करने के लिए काम किया है कि ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं को उचित संज्ञान मिले और सबसे गंभीर वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने में ‘ग्लोबल साउथ’ की प्राथमिकताओं को उचित रूप से ध्यान में रखा जाए।’’
इसमें कहा गया है कि दूसरा ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन भारत की अध्यक्षता के दौरान विभिन्न जी20 बैठकों में हासिल किए गए प्रमुख परिणामों को भाग लेने वाले देशों के साथ साझा करने पर केंद्रित होगा।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘वैश्विक घटनाक्रमों से उत्पन्न चुनौतियों पर भी चर्चा होने की संभावना है। इसके अलावा, शिखर सम्मेलन अधिक समावेशी, अधिक प्रतिनिधि और प्रगतिशील विश्व व्यवस्था की हमारी आम आकांक्षा की दिशा में उत्पन्न गति को बनाए रखने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।’’