‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण को आकार देने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

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तिरुपति, 14 सितंबर (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि महिलाएं अपनी नेतृत्व क्षमता और योगदान के माध्यम से ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

बिरला ने यहां ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ द कमेटी ऑन वूमेन पार्लियामेंट एंड स्टेट एंड यूनियन टेरीटरी लेजिस्लेचर्स’ के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘महिलाएं अपनी दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता से ‘विकसित भारत’ के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं और राष्ट्र की प्रगति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।’’

उन्होंने कहा कि राष्ट्र तभी वास्तविक रूप से समृद्ध होगा जब उसकी आधी महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र होंगी।

बिरला ने कहा, ‘‘महिलाओं के आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने से ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ का विजन शानदार सफलता प्राप्त करेगा। ’’

बिरला ने इस बात पर बल दिया कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्रीय और राज्य समितियों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण एक क्रमिक प्रक्रिया है, यह कोई तात्कालिक उपलब्धि नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र और राज्य सरकारों ने सभी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए लगातार अवसर पैदा किए हैं, जिससे शासन, प्रशासन और राष्ट्र निर्माण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित हुई है।’’

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसदीय समितियां बालिका शिक्षा को प्राथमिकता दे रही हैं, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार कर रही हैं तथा मजबूत एवं सशक्त भविष्य सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय स्वतंत्रता को सक्षम बना रही हैं।

बिरला ने कहा कि महिलाएं हमेशा से सामाजिक और राजनीतिक जीवन में केन्द्रीय भूमिका में रही हैं, उन्होंने नए विचारों को सामने रखा है और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत किया है।

सरकारी वेबसाइट के अनुसार ‘विकसित भारत-2047’ भारत का महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण है। इसके अनुसार भारत की महत्वाकांक्षा अपनी आजादी के 100 साल पूरे करने तक एक विकसित राष्ट्र बनना है, जिसमें आर्थिक समृद्धि, सामाजिक प्रगति, पर्यावरणीय स्थिरता और प्रभावी शासन शामिल है।

सरकार ने युवाओं को सुझाव देने और 2047 के लिए भारत के विजन को आकार देने में मदद करने के लिए माईजीओवी डॉट इन पर ‘विकसित भारत-2047 के विजन के लिए विचार’ नामक एक वेबपेज की शुरुआत की है।

संविधान निर्माण को याद करते हुए बिरला ने कहा कि संविधान सभा की लगभग 15 महिला सदस्यों ने अपने दृष्टिकोण से इस दस्तावेज को समृद्ध किया, जिससे विश्व के सबसे लंबे लिखित संविधान को आकार देने में मदद मिली।

उन्होंने बताया कि विश्व के कई संविधानों के विपरीत, भारतीय संविधान ने शुरू से ही महिलाओं को वोट देने, समानता और न्याय का अधिकार दिया है।

वित्त, प्रौद्योगिकी और खेल के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को स्वीकार करते हुए बिरला ने कहा कि देश को एक आदिवासी महिला, द्रौपदी मुर्मू के भारत के राष्ट्रपति होने पर गर्व है।

उन्होंने कहा कि नये संसद भवन के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘स्त्री शक्ति’ की बात की थी, जबकि राज्यों ने विधानसभाओं और संवैधानिक निकायों में 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया था।

बिरला ने कहा कि भारत स्थानीय निकायों से लेकर संसद तक महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्ध है, तथा संसद की समितियां उनके इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर काम कर रही हैं।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ग्रामीण महिलाएं जल्द ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने में प्रेरक शक्ति बनेंगी।’’

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