अनीमिया, मतलब रक्ताल्पता अर्थात शरीर में खून की कमी। ऐसे में रक्त में लाल कणों की कमी हो जाती है। शरीर का रंग पीला पड़ने लगता है। इसे ही हीमोग्लोबिन का कम होना या एच बी में कमी आना कहते हैं। रक्त में गुणवत्ता की कमी ही अनीमिया रोग है।
कुछ कारण
लंबी बीमारी से उठना, प्रसव के समय रक्त का अधिक स्राव होना, मासिक धर्म सामान्य से अधिक होना, दुर्घटना, चोट से रक्त का बह जाना, आपरेशन के समय अधिक रक्त निकल जाना, पोषक तत्वों की कमी वाला भोजन लगातार करना, असंतुलित आहार, नया रक्त उचित मात्रा में न बनना आदि कारण हो सकते हैं।
उपचार, परहेज, .सावधानियां
हर अवस्था में रक्त की कमी पूरी करें।
यदि यह कमी किसी लंबी बीमारी के कारण हुई है तो धीरे धीरे पूर्ति भी होती जाएगी। भोजन इसे पूरा कर देगा।
चिकनाई युक्त पदार्थ पूरी तरह से छोड़ दें। इन्हें पचाने के लिए शरीर को बहुत परिश्रम करना पड़ता है किंतु शरीर में इतनी क्षमता नहीं होती। पाचन प्रक्रिया इस योग्य नहीं होती।
अंगूर का सेवन तथा अंगूर का रस कमी को पूरा कर सकता हैं।
गाजर का रस पीना और भी अच्छा है। गाजर तो जरूर खाएं।
चुकन्दर भी रक्त में वृद्धि करता है। चुकन्दर का रस पिएं।
यदि गाजर तथा चुकन्दर का समान मात्रा में रस लें तो बहुत अच्छा है। रक्त में लाल कण बढ़ते रहेंगे। शरीर पुष्ट होगा।
खुमानी का सेवन लाल कणों में अच्छी वृद्धि कर सकता है क्योंकि इस में विटामिन ए, लौह तत्व और पोटेशियम रहता है।
शरीर में लौह तत्व की उचित मात्रा जानी चाहिए। यदि कमी हो भी जाए और प्राकृतिक रूप से भी पूरी न हो तो गोलियां भी ले सकते हैं।
आलू बुखारा, आडू, तथा दाख का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
काजू का सेवन भी रक्त में वृद्धि कर हीमोग्लोबिन बढ़ाता है। काजू में थायमीन, लौह तत्व तथा विटामिन बी आदि होता है, इसलिए कमजोर व्यक्तियों को इसका सेवन करना चाहिए।
लाल कणों को रक्त में बढ़ाने के लिए टमाटर खाना चाहिए।
जिन्हें रक्ताल्पता की शिकायत रहती है वे सोयाबीन का किसी भी प्रकार से सेवन करें। इससे सस्ता उपचार और कोई नहीं। सोयाबीन में क्षार, ताम्बा, लौह तत्व होते हैं। इसमें लोसिधीन भी है।
अधिक से अधिक खुली हवा तथा ताजी आक्सीजन लेना बहुत जरूरी है।
उपयोगी तथा संतुलित भोजन लें किंतु महंगे के पीछे न जाएं।