सर्दी सेहत बनाने का मौसम कहा जाता है। इस ऋतु में जठराग्नि प्रबल होती है अतएव मनुष्य जो भी खाता है वह पच जाता है और उसके गुण शरीर द्वारा ग्रहण कर लिए जाते हैं जो वर्ष के शेष मौसम में जमा पूंजी की तरह काम आते हैं। सर्दी सेहत बनाने का मौसम है, इसका अर्थ यह नहीं कि इस मौसम में कोई रोग नहीं होता है।
पहली बात तो मौसम के बदलने पर शरीर में संचित कफ, पित्त या वात का शमन होता है जो उससे संबंधित रोग के रूप में प्रकट होता है। मौसम के बदलने पर जुकाम होता है और नाक बहने लगती है। सर्दियों के मौसम में भी यही होता है। इसके अलावा नाक में मांस बढ़ने से सांस लेने में परेशानी होती है। जुकाम के बिगड़ने से टांसिल, गले में संक्रमण और खांसी होती है।
जुकाम कारण
1. प्रतिरोधक क्षमता में ह्रास।
2. स्नायु संस्थान के निर्बल होने के कारण।
3. एलर्जी के कारण या पराग, धूल, कपास के रेशे या भोजन के माध्यम से प्राप्त किसी एलर्जीकारक तत्व के कारण।
4. अपच एवं कब्ज के कारण।
5. अम्लीय पदार्थों की अधिकता जैसे फल एवं सब्जियों की कमी, मैदा, तली वस्तुओं, चाय, कॉफी, मादक पदार्थोंं का सेवन, इमली, अमचूर, टमाटर, सूप आदि का उपयोग।
6. विलासी जीवन या परिश्रम का अभाव।
7. बिना डाक्टर की आज्ञा के दवाआें का सेवन।
निदान
1. रोगी को गुनगुना जल पिलाएं।
2. भोजन हल्का, चिकनाई रहित अल्प मात्रा में लें।
3. कब्ज न होने दें। इसके निदान हेतु एक गिलास पानी में नींबू का रस लें।
4. मौसमी हरी सब्जियां जैसे- खीरा, ककड़ी, गाजर, पालक, बथुआ, मैथी, धनिया, टमाटर, बंद गोभी, फूल गोभी, मूली आदि की मात्रा बढ़ा दें।
5. चोकर समेत आटे की रोटी खाएं। चने के आटे की रोटी लें।
6. अच्छे चिकित्सक की सलाह पर दवा लें।
नाक में मांस बढ़ना
जब ंजुकाम पुराना होता है तब नाक में मांस बढ़ने के साथ सांस लेने में परेशानी होती है।
कारण
1. जुकाम का ठीक से उपचार न होना।
2. पारिवारिक प्रवृत्ति।
निदान
1. जुकाम शुरू होते ही उपचार आरंभ कर दें।
2. ठण्डे जल की नेति।
3. दक्षिण धु्रव प्रभावित चुम्बक जल पिलाएं और नाक में लगाएं। आपरेशन टल सकता है।
खांसी रोग कारण
1. जुकाम बढ़ने, टांसिल बनने एवं गले के संक्रमण से खांसी जन्म लेती है।
2. भोजन में चिकनाई युक्त एवं अम्लीय तत्वों की अधिकता के बाद ठंडे पानी का सेवन करना।
3. ठंडा भोजन या अन्य वस्तुओं का सेवन करना।
निदान
1. गुनगुने जल का सेवन करें।
2. चिकनाई एवं खट्टे पदार्थों का त्याग करें।
3. ठंड से बचें।
4. गर्म पानी में नमक डालकर कुल्ला (गरारे) करें।
5. गर्म भाप व लेप गले पर लगाएं।
6. अदरक अर्क व शहद समभाग में सेवन करें।
7. सितोपलादि चूर्ण शहद के साथ सुबह शाम लें।