भारत की जैसमीन लंबोरिया विश्व चैम्पियन बनी, नुपूर को रजत और पूजा को कांस्य

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लिवरपूल, 14 सितंबर (भाषा) भारतीय मुक्केबाज जैसमीन लंबोरिया ने अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया जब वह विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में पेरिस ओलंपिक की रजत पदक विजेता पोलैंड की जूलिया जेरेमेटा को हराकर फीदरवेट वर्ग में चैम्पियन बन गई ।

पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करने वाली जैसमीन ने 57 किलोवर्ग के फाइनल में शनिवार को देर रात 4 . 1 (30-27, 29-28, 30-27, 28-29, 29-28) से जीत दर्ज की ।

नुपूर शेरोन (80 प्लस किलो ) और पूजा रानी (80 किलो) को गैर ओलंपिक भारवर्ग में क्रमश: रजत और कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा ।

इस जीत के साथ जैसमीन विश्व चैम्पियन बनने वाली भारत की नौवीं मुक्केबाज बन गई ।

इससे पहले छह बार की चैम्पियन एम सी मेरीकोम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), दो बार की विजेता निकहत जरीन (2022 और 2023), सरिता देवी (2006), जेनी आरएल (2006), लेखा केसी (2006), नीतू गंघास (2023), लवलीना बोरगोहेन (2023) और स्वीटी बूरा (2023) यह खिताब जीत चुकी है।

तीसरी बार विश्व चैंपियनशिप में भाग ले रही 24 वर्षीय जैसमीन ने मुकाबले में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। शुरू में दोनों मुक्केबाज़ एक-दूसरे को परख रही थीं लेकिन रेफरी के उकसावे पर जेरेमेटा ने पहला वार किया।

ओलंपिक फ़ाइनल में लिन यू-टिंग से हारने वाली पोलैंड की यह मुक्केबाज़ तेज़ और सटीक थी और रक्षात्मक रणनीति का इस्तेमाल करते हुए तेज़ी से अंदर-बाहर हो रही थी। उन्होंने पहला राउंड 3-2 से जीत लिया।

लेकिन दूसरे राउंड में भारतीय खिलाड़ी ने जोरदार वापसी की। जैसमीन ने मुकाबले पर नियंत्रण बनाया तथा आक्रमण और रक्षण के बीच शानदार समन्वय स्थापित किया जिससे सभी जज उनके पक्ष में हो गए।

जब अंतिम फैसला सुनाया गया, तो आमतौर पर शांत रहने वाली जैसमीन ने हल्की सी चीख़ मारी और फिर हाथ उठाकर अपनी निराश प्रतिद्वंद्वी को शालीनता से गले लगा लिया। पदक समारोह में, जब पूरे स्टेडियम में भारतीय राष्ट्रगान गूंज रहा था, तो उनकी आंखें चमक उठीं।

एक अन्य फाइनल में नुपुर को पोलैंड की तकनीकी रूप से कुशल अगाता काज्मार्स्का से 2-3 से हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्हें रजत पदक मिला।

नूपुर अपने लंबे कद के बावजूद मुकाबले में खुद को हावी नहीं कर पाईं। उन्होंने शानदार शुरुआत की और मुक्कों की झड़ी लगा दी, लेकिन काज़्मार्स्का ने लगातार आक्रामकता से जवाब दिया और ऐसे वार किए कि भारतीय खिलाड़ी निढाल हो गई।

जैसे-जैसे मुकाबला आगे बढ़ा, नूपुर मुक्के मारने में हिचकिचाने लगीं, जबकि पोलैंड की खिलाड़ी लगातार आक्रमण करती रही। निर्णायक क्षण अंतिम राउंड में आया जब अगाता ने एक ज़बरदस्त अपरकट लगाया जो मुकाबला 3-2 से उनके पक्ष में करने और उनके पहले विश्व ख़िताब को सुनिश्चित करने के लिए काफ़ी था।

इससे पहले सेमीफाइनल में पूजा को स्थानीय खिलाड़ी एमिली एस्क्विथ के हाथों 1-4 के विभाजित फैसले से हारकर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था।

पूजा ने राउंड के बाद अपने नपे-तुले खेल से बढ़त बना ली। लेकिन एस्क्विथ ने तेज़ी से अपने खेल की रणनीति में बदलाव करते हुए 34 वर्षीय पूजा की लय को बेअसर कर दिया।

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