अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर पर निर्णय, थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों से तय होगी बाजार की दिशा

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नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक के नतीजों और थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) के आंकड़ों से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका-भारत व्यापार मोर्चे पर आगे कोई भी घटनाक्रम भी शेयर बाजार के रुख को प्रभावित करेगा।

स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ‘‘आगे की ओर देखते हुए, इस सप्ताह का प्रमुख वैश्विक घटनाक्रम 17 सितंबर को होने वाली अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के नतीजे होंगे। अमेरिकी रोजगार बाजार में सुस्ती के संकेतों को देखते हुए, बाजार ब्याज दरों में कम-से-कम 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद कर रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘घरेलू मोर्चे पर, अमेरिका-भारत व्यापार मोर्चे पर कोई भी का घटनाक्रम बाजार की धारणा को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक बना रहेगा। इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का प्रवाह इस गति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।’’

पिछले सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,193.94 अंक या 1.47 प्रतिशत चढ़ गया। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 373 अंक या 1.50 प्रतिशत के लाभ में रहा। शुक्रवार को निफ्टी में लगातार आठवें सत्र में तेजी दर्ज की गई, जबकि सेंसेक्स लगातार पांचवें दिन लाभ में रहा।

ऑनलाइन ट्रेडिंग और वेल्थ-टेक फर्म एनरिच मनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पोनमुडी आर ने कहा, ‘‘अमेरिकी और एशियाई बाजारों में आशावाद के साथ वैश्विक धारणा प्रमुख ‘चालक’ बनी हुई है, जो फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदों की वजह से है। इससे जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ रही है।’’

विदेशी निवेशकों की व्यापारिक गतिविधियां, रुपये-डॉलर का रुख और कच्चे तेल की कीमतों का उतार-चढ़ाव भी सप्ताह के दौरान बाजार के रुख को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के शोध प्रमुख-संपदा प्रबंधन सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘भारतीय शेयर बाजार में धीरे-धीरे तेजी जारी रहने की संभावना है। इस सप्ताह, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कटौती के बाद उपभोग बढ़ने की उम्मीद, अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की सभावना और अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता को लेकर धारणा में सुधार से समर्थन मिला।’’

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