छत्रपति संभाजीनगर, 12 सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण पर सरकारी आदेश ‘‘दबाव में’’ जारी किया है और उन्होंने ओबीसी कोटे में किसी भी ‘‘अतिक्रमण’’ के खिलाफ चेतावनी दी।
भुजबल ने कहा कि अदालत ने भी कहा है कि मराठा समुदाय पिछड़ा नहीं है। उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण को बचाने के लिए लड़ने का संकल्प लिया।
भुजबल लातूर जिले के वांगदारी गांव में 35 वर्षीय भरत कराड के परिवार के सदस्यों से मिलने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। कराड ने कथित तौर पर इस डर से आत्महत्या कर ली थी कि मनोज जरांगे के नेतृत्व वाले मराठा आरक्षण आंदोलन के बाद जारी सरकारी आदेश से ओबीसी समुदाय का आरक्षण प्रभावित होगा।
भुजबल के साथ राकांपा के उनके सहयोगी और पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे भी थे।
प्रमुख ओबीसी नेता भुजबल ने कहा, ‘‘डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान में लिखा है कि ओबीसी समाज का एक बड़ा हिस्सा हैं और उन्हें आरक्षण देना जरूरी है। चूंकि आरक्षण की लड़ाई चल रही थी, इसलिए कई आयोग गठित किए गए, लेकिन मंडल आयोग (रिपोर्ट) को (पूर्व प्रधानमंत्री) वी.पी. सिंह ने स्वीकार किया और आरक्षण का रास्ता साफ हुआ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मराठा समुदाय पिछड़ा नहीं है और अदालत ने भी यह कहा है। उच्चतम न्यायालय ने हमारा (ओबीसी) साथ दिया और हमें 27 प्रतिशत आरक्षण दिया। मराठा आरक्षण का मुद्दा कुछ साल पहले ही उठा था। आयोग ने उन्हें (मराठा समुदाय को) बताया कि वे पिछड़े नहीं हैं।’’
ओबीसी नेता ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) के तहत लाभ प्राप्त करने के अलावा, मराठा समुदाय अब ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण चाहता है।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने कहा, ‘‘कुनबियों को उनके अधिकार मिलने चाहिए और हम इसका विरोध नहीं करते। लेकिन अब मराठा ओबीसी श्रेणी के तहत पूरे समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं।’’
हाल ही में हुए मराठा आरक्षण आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वे 3-4 दिनों के लिए मुंबई आए थे। पिछले साल, जरांगे के नेतृत्व में लोगों ने बीड में आगजनी की थी। अब यह सरकारी आदेश दबाव में प्रकाशित किया गया है। इससे ओबीसी को नुकसान होगा। हमने इसके बारे में मुख्यमंत्री को लिखा है और हम अदालत का भी रुख करेंगे। ओबीसी श्रेणी में 374 जातियां हैं और उनका आरक्षण खतरे में है।’’