नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोक अभियोजकों के लिए विशेष प्रशिक्षण अकादमी की स्थापना के संबंध में अपने प्रस्ताव को चार हफ्ते के भीतर अंतिम रूप देने का नगर सरकार को निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से यह भी कहा कि वह इस संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए एक हलफनामा दाखिल करे।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा (अब उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत) और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दोहराया कि सरकारी अभियोजक अपने कर्तव्यों के निर्वहन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हैं।
पीठ ने कहा, “तदनुसार, दिल्ली सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह लोक अभियोजकों के लिए विशेष प्रशिक्षण अकादमी की स्थापना के अपने प्रस्ताव को आज से चार सप्ताह यानी एक नवंबर तक अंतिम रूप दे, और इस दिशा में उठाए गए कदमों की रूपरेखा बताते हुए एक हलफनामा दाखिल करे।”
इस मामले में अगली सुनवाई छह दिसंबर को होगी।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को 14 सितंबर के अपने पूर्व के आदेश का पालन करने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय भी दिया, जिसमें अधिकारियों को दिल्ली न्यायिक अकादमी के समन्वय के साथ नवनियुक्त लोक अभियोजकों को प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया गया था।
उच्च न्यायालय शहर में लोक अभियोजकों की भर्ती, नियुक्ति और कामकाज से संबंधित मुद्दों से जुड़ी विभिनन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें स्वत: संज्ञान लिया हुआ एक मामला भी शामिल है।