काख्रतक कृष्णपक्ष की त्रायोदशी को धनतेरस कहते हैं। यह पर्व दीपावली से प्रायः दो दिन पहले आता है। इस दिन से तीनों दिन तक लक्ष्मी भूमण्डल का विचरण करती हैं। इसलिए इस दिन भौतिक लक्ष्मी के प्रतिस्वरूप सोना, चांदी, जवाहरात एवं आभूषण आदि खरीदकर घर लाए जाते हैं। साधारण व्यक्ति भी जो सोना-चांदी नहीं खरीद सकता, वह कम से कम धातु का बर्तन इस दिन अवश्य खरीदता है।
भारतीय जनमानस में यह धारणा है कि इस दिन किसी को उधार नहीं देना चाहिए। जो व्यक्ति धन या मूल्यवान वस्तुओं का धनतेरस को संचय करते हैं, वे संपन्न हो जाते हैं। तंत्रागमों के अनुसार धनतेरस लक्ष्मी एवं कुबेर का पर्व है। इस दिन पूजा, पाठ, मंत्रा एवं यंत्रा आदि का अनुष्ठान करने से धन की समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति, दरिद्रता की निवृत्ति, ऋण से मुक्ति एवं कारोबार में वृद्धि होती है। इसलिए इस दिन अपनी श्रद्धा एवं सामर्थ्य के अनुसार पूजा करनी चाहिए।
धनतेरस की पूजा
सामान्य व्यक्ति के लिए विधि-विधान से पूजन करना एक कठिन कार्य है क्योंकि पूजा में प्रयुक्त सभी मंत्रा संस्कृत में होते हैं, जिनके उच्चारण में सामान्य लोगों से त्राटि होने की संभावना बनी रहती है। यहां साधारण लोगों के लिए पूजा की सरलतम विधि बतलाई जा रही है जिससे आम आदमी श्रद्धा-भक्ति से धनतेरस की पूजा कर सके।इस दिन बाजार से सोने/चांदी के सिक्के, आभूषण, धातु के बर्तन, श्रीलक्ष्मी-गणेश की मूख्रत एवं पूजा का सामान खरीद कर लाना चाहिए। फिर धनतेरस के दिन प्रदोषकाल में पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख आसन पर बैठकर मार्जन, आचमन एवं प्राणायाम कर अपने सामने चौकी या पटरे पर लाला कपड़ा बिछाकर उस नए बर्तन में सोने/चांदी के सिक्के और संभव हो तो श्रीयंत्रा एवं कुबेर यंत्रा स्थापित कर ओम कुबेराय नमः जपें।
इस मंत्रा से पंचापचार (रोली, चावल, फूल, धूप, दीप एवं प्रसाद) से पूजन कर देशी घी के पांच दीपक जलाकर निम्न मंत्रों से प्रार्थना करनी चाहिए।
‘धन दाय नमस्तुभ्यं निधिपद्याधिपाय च।
भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादि सम्पदा।।
धनाध्यक्षाय देवाय नर यानोपवेशिने।
नमस्ते राजराजाय कुबोराय महात्मने।
ऋण-मुक्ति एवं संपन्नता के यंत्रा
ऋण से मुक्ति, व्यापार में वृद्धि एवं सुख-समृद्धि के लिए बीमा एवं पंचदशी यंत्रा को तिजोरी में रखने या धारण करने की परम्परा हमारे यहां प्राचीनकाल से है। इन यंत्रों को स्वर्णपत्रा, रजतपत्रा या ताम्रपत्रा पर खुदवा कर अथवा भोजपत्रा पर केसर एवं लाल चंदन से लिखकर धनतेरस की पूजा के बाद इनका पंचापचार या षोडशोपचार से विधिवत पूजन कर मनोयोगपूर्वक-ओम श्रीं ओम हृं क्लीं वित्तेश्वराय नमः अथवा ओम धनाध्यक्षाय नमः मंत्रा का 11 बार जाप करना चाहिए।
इस प्रकार सिद्ध इस यंत्रा को सोने/चांदी के ताबीज में डालकर गले या दाहिने भुजा पर धारण करने से ऋण एवं दरिद्रता से मुक्ति होती है तथा सोने/चांदी/तांबे के पत्रा पर सिद्ध यंत्रा को कोष/तिजोरी में रखने से सम्पन्नता आती है।
कुबेर की अनुकम्पा
ब्रह्मचारी शिष्य ने गुरू दक्षिणा के लिए जब हठ किया तो महर्षि कौत्स प्रसन्न हुए लेकिन उन्होंने गुरू दक्षिणा लेने से मना कर दिया। शिष्य अन्य सभी शिष्यों के समक्ष अपने को ज्यादा योग्य शिष्य साबित करने के लिए फिर हठ करने लगा।
तब गुस्से से महर्षि कौत्स बोले-बेटा, तुम्हें मैं 18 विषयों की शिक्षा दे चुका हूं। कोई भी विद्या की कीमत नहीं लगा सकता। तब भी मैं समझता हूं कि एक विद्या सिखाने की कीमत एक करोड़ सोने की मुद्राएं लगाई जाए तो 18 करोड़ सोने की मुद्राएं तुम्हें मुझे अर्पित करनी चाहिए। मैं इसे तुम्हारी गुरू दक्षिणा तभी मानूंगा।
शिष्य ने विनम्र होकर महर्षि कौत्स से गुरू दक्षिणा चुकाने के लिए 6 महीने का समय मांगा। ब्रह्मचारी शिष्य ने अपने राज्य में आकर राजा से इस गुरू दक्षिणा को देने के लिए कहा।
राजा ने इतनी बड़ी रकम चुकाने में असमर्थता व्यक्त की और सूर्यवंशी महाराजा रघु के पास जा पहुँचे। रघु पहले ही सर्वस्व दान कर चुके थे और साधुओं सा जीवन व्यतीत कर रहे थे।
तब महाराज रघु ने लक्ष्मीजी की स्तुति की। लक्ष्मीजी प्रकट हुई और कहा कि-बिना भाग्य कृपा नहीं होती। तुम्हें याचना की बजाए क्षत्रियोचित कर्म करना चाहिए। रघु ने संकेत समझ कुबेर पर चढ़ाई कर दी। महाराज की वीरता देख गुरू दक्षिणा चुकाने के लिए कुबेर ने सोने की मुद्राओं की बरसात कर दी। इस प्रकार शिष्य ने महर्षि कौत्स को गुरू दक्षिणा चुकाने में सफलता प्राप्त की।
इस कथा से साफ पता चलता है कि जब धन प्राप्ति के सारे उपाय असफल हो जाते हैं, जब शिवजी के परम मित्रा कुबेर की आराधना शीघ्रता से फल प्रदान करती है। खुद रावण ने अपने भाई कुबेर को आराधना से प्रसन्न कर रखा था।
ऐसा कहा जाता है कि शिवजी की पूजा करने वालों को कुबेर जल्दी फल प्रदान करते हैं। शिवजी के मंदिर में या बेल के पेड़ के नीचे बैठ कर कुबेर के मंत्रा का जाप करना विशेष फल प्रदान करता है। कुबेर का मंत्रा इस प्रकार है- ओम श्री ओम हयीं क्लीं श्री क्लीं वित्तेश्वराय नमः।