नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) शीर्ष उद्योग निकाय आईएफएपीए ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बढ़ता व्यापार तनाव घरेलू मिश्र लौह धातु क्षेत्र के लिए एक बड़ा खतरा हैं, और इस संबंध में सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत है।
इस्पात विनिर्माता सिलिको मैंगनीज और फेरो क्रोम जैसे मिश्र लौह धातु का उपयोग डीऑक्सीडाइजर और अलॉयज़ एजेंट के रूप में करते हैं, ताकि उत्पाद की कठोरता, मजबूती और घिसाव प्रतिरोध जैसे गुणों में सुधार हो सके।
भारतीय मिश्र लौह धातु उत्पादक संघ (आईएफएपीए) के चेयरमैन मनीष सारदा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ”घरेलू मिश्र लौह धातु उद्योग ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी उत्पादक क्षमता के साथ ही निर्यात क्षमता में भी उल्लेखनीय वृद्धि की है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर कमजोर होता इस्पात उत्पादन, व्यापार बाधाएं तथा सुरक्षा उपाय और आगामी कार्बन सीमा कर विशेष रूप से भारतीय निर्यात के लिए एक बड़ा खतरा हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत मैंगनीज मिश्र लौह धातुओं का दुनिया का शीर्ष निर्यातक और फेरो क्रोम का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
बिगमिंट के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले पांच वर्षों में अपनी मिश्र लौह धातु विनिर्माण क्षमता को लगभग दोगुना करके 31 मार्च, 2025 तक 80 लाख टन कर दिया, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 43 लाख टन थी।