लंबे कैरियर में कभी स्‍टीरियोटाइप नहीं हुईं तब्‍बू

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अनिल कपूर की बेटी रिया कपूर व्‍दारा निर्मित फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ (2018) के जरिये करीना कपूर ने बेटे तैमूर को जन्म देने के बाद बड़े पर्दे पर कमबैक किया था। फिल्‍म बॉक्‍स ऑफिस पर अच्‍छी खासी हिट साबित हुई थी।

उसके बाद से ही ऑडियंस ‘वीरे दी वेडिंग’ के सीक्वेल का इंतजार कर रही है। हाल ही में सीक्‍वल का अनाउंसमेंट भी हुआ। करीना कपूर इस सीक्वल में होने की पुष्टि कर चुकी हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें करीना कपूर के साथ तब्बू भी लीड रोल में नजर आएंगी।  फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग 2’ पहले जनवरी 2023 में फ्लोर पर जाने वाली थी लेकिन अभी इसमें और वक्‍त लग सकता है।

तब्बू इंडस्ट्री की सबसे टैलेंटेड एक्ट्रेसेस में से एक हैं उन्‍होंने इतने सालों में, ‘चांदनी बार’ (2001) ‘मकबूल’ (2003), ‘चीनी कम’ (2007), ‘हैदर’ (2014) ‘दृश्यम’ (2015), ‘अंधाधुन’ (2018) ‘दृश्यम 2′ (2022)  ‘भूल भुलैया 2’ (2022) और ‘भोला’ (2023) जैसी कुछ फिल्मों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

53 की हो चुकी तब्‍बू इन दिनों लगभग हर फिल्‍म में कमाल का काम कर रही हैं। हर फिल्‍म में उन्हें देखकर लगता है कि अब तक उन्‍होंने अपना जो बेस्ट बचाकर रखा था, उसे उन्‍होंने इस फिल्‍म में झोंक दिया लेकिन फिर अगली ही फिल्‍म के साथ वो फिर एक कदम आगे बढ़ जाती हैं।

तब्‍बू के अभिनय में नाटकीयता कम और वास्‍तविकता ज्‍यादा नजर आती है और यही तब्‍बू के अभिनय की खूबी है। वह न केवल बेमिसाल एक्टिंग करती हैं बल्कि हर सीन में खुद को पूरी तरह झौंक देती हैं।

4 नवंबर 1970 को हैदराबाद में जन्मी तब्बू 90 के दशक से लगातार हिंदी सिने जगत में एक्टिव हैं और उनकी लोकप्रियता है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही।  

नैटफ्लिक्स पर 5 अक्टूबर को रिलीज तब्‍बू की एक और फिल्‍म ‘खुफिया’ भी धूम मचा रही हैं। इस फिल्‍म में तब्‍बू ने एक स्पाई का बेहद शानदार किरदार निभाया है।

विशाल भारद्वाज के साथ ‘खुफिया’ तब्बू की तीसरी फिल्म है। इसके पहले दोनों गैंगस्टर ड्रामा ‘मकबूल’ (2003) और क्राइम ड्रामा ‘हैदर’ (2014) में एक साथ काम कर चुके हैं। विलियम शेक्सपियर की कहानियां मैकबेथ और हैमलेट पर बेस्ड फिल्‍म ‘हैदर’ (2014) में तब्‍बू ने शाहिद कपूर की मां का जो रोल निभाया, वह लाजवाब था।

तब्‍बू खुद को, खुशकिस्मत समझती हैं, वह अक्‍सर कहती हैं कि उनके फिल्ममेकर्स और निर्देशकों ने कभी भी उन्हें स्टीरियोटाइप करने की कोशिश नहीं की और उन्हें हमेशा हर तरह के किरदारों में आजमाया और उन्‍होंने भी हर किरदार को काफी मजे के साथ स्‍क्रीन पर उतारने की कोशिश की है।