Toilet in Train: ट्रेन में टॉयलेट कैसे आया? एक इंडियन ने ऐसे खोली अंग्रेजों के दिमाग की बत्ती

आज आप आराम से ट्रेन में टॉयलेट की सुविधा ले पाते हैं. आप सोचिए कि जिस ट्रेन में आप सफर कर रहे हैं, उसमें टॉयलेट सुविधा न हो, तो आप कितना परेशान होंगे, लेकिन आप जानकर हैरान होंगे 56 सालों तक रेलवे में टॉयलेट की सुविधा नहीं हुआ करती थी. सोचिए उस समय यात्री कितना परेशान होते होंगे क्योंकि उस समय ट्रेन की स्पीड भी बहुत कम हुआ करती थी. ऐसे में एक इंडियन थे जिन्होंने अंग्रेजों को अपनी परेशानी लेटर लिखकर बताई, उसके बाद इंडियन रेलवे ने इस सुविधा के बारे में विचार किया, दरअसल उनका बहुत जोर से पेट खराब हो गया था. जानिए उनके बारे में, फिर क्या हुआ.
56 साल तक बिना टॉयलेट के चलती थी ट्रेन
इंडियन रेलवे की शुरूआत को 1853 हो गई थी. 6 अप्रैल 1853 को देश की पहली यात्री ट्रेन मुंबई- ठाणे के लिए चली थी, लेकिन आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि लगभग 56 साल तक ट्रेनों में टायलेट की सुविधा ही नहीं थी. साल 1919 तक बिना टॉयलेट के ही ट्रेन पटरियों पर दौड़ती रही. रेलवे को 1919 में एक ऐसा लेटर मिला जिसके बाद अंग्रेज ने ट्रेनों में टॉयलेट बनवाने के बारे में सोचा.
किसने लिखा लेटर
ओखिल चंद्र सेन नाम के एक यात्री थे. जिन्होंने अंग्रेजों को अपने दर्द के बारे में बताया. उन्होंने 2 जुलाई 1909 को रेलवे को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने भारतीय रेल में टॉयलेट लगवाने का अनुरोध किया.
लेटर में क्या लिखा था?
ओखिल चंद्र सेन ने लेटर में लिखा था कि डियर सर, मैं ट्रेन से अहमदपुर स्टेशन तक आया और उस दौरान मेरा पेट दर्द हो रहा था और उसकी वजह से पेट सूज गया. मैं टॉयलेट करने के लिए किनारे बैठ गया. उतनी देर में गार्ड ने सीटी बजाई और ट्रेन चल पड़ी. इस वजह से, मेरे एक हाथ में लोटा था और दूसरे हाथ से, मैं धोती पकड़कर दौड़ा और प्लेटफार्म पर गिर भी गया और मेरी धोती भी खुल गई और मुझे वहां सभी महिला-पुरूषों के सामने शर्मिंदा होना पड़ा और मेरी ट्रेन भी छूट गई. इस वजह से, मैं अहमदपुर स्टेशन पर ही रह गया. यह कितनी खराब बात है कि टॉयलेट करने गए एक यात्री के लिए ट्रेन का गार्ड कुछ मिनट रुका भी नहीं. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि उस गार्ड पर जुर्माना लगाया जाए वरना मैं ये बात अखबारों में बता दूंगा.