हृदय रोग हो या हार्ट अटैक की सम्भावना, उन से बचना असम्भव नहीं। हां, थोड़ा प्रयत्न तो करना ही होगा। भोजन पर निर्भर रह कर सही चुनाव कर के रहन सहन में बदलाव से रोग से बचा जा सकता है।
जिस का रक्तचाप ठीक है, उसे दिल का रोग नहीं होता। रेशे प्रधान खान पान होने से इस रोग से बचना सम्भव है। चोकर भी जरूर खाएं।
जई का भूसा, आटे में चोकर, रेशेदार फल अधिक मात्रा में लें। प्रातः खाली पेट आधा चम्मच लहसुन का रस नियमित लें। इस के सेवन से रक्तवाहिनी नाड़ियों का फैलाव हो कर, रक्त प्रवाह ठीक हो जाता है। लहसुन का रस दिल और दिमाग में बने दबाव को कम कर देता है। हृदय रोगी लहसुन खाएं तो यह रक्त को गाढ़ा नहीं होने देगा। हृदय रोगी को सोयाबीन, उस का दूध या सोयाबीन से बना पनीर आदि जरूर लेने चाहिए। इस की खूबी है कि बढ़िया तथा उच्च कोटि के कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि करता है तथा हीन श्रेणी के कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। यदि ऐसा हो पाता है तो रोग नियन्त्राण में आएगा ही। प्याज रक्त को गाढ़ा होने से रोकता है। गाढ़े रक्त को पतला कर देता है। लहसुन, प्याज से लगे छौंक के सेवन से तब तक लाभ होता है जब तक घी की मात्रा बहुत ही सीमित रहे।
उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर में सुधार लाने के लिए दो छोटे प्याजों का रस प्रतिदिन सेवन करें। हृदय रोग ठीक होने लगेगा।
अधिक वसा के कारण होने वाले विकारों पर भी प्याज काबू पाता है, अतः कच्चा प्याज भोजन में अवश्य खाया करें।
लहसुन और प्याज को इसलिए मत नकारें कि उस की दुर्गन्ध बुरी लगती है। यह आप का अच्छा वैद्य है। जरूर अपनाएं।
नमक का प्रयोग अवश्य घटा दें वरना शरीर में पोटेशियम व ट्रेस एलीमेंट्स की कमी आ जाएगी। इस से कमजोरी बढ़ती है। हृदय रोग भी बढ़ता है।
भोजन में विटामिन बी-6, विटामिन ‘ई‘, विटामिन ‘सी‘ तथा नायसिन की उचित मात्रा लेने में कभी लापरवाही न करें।