नयी दिल्ली, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी इजराइल-हमास संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र के हालिया प्रस्ताव पर मतदान के दौरान भारत के अनुपस्थित रहने का ‘कड़ा विरोध’ करती है।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने हमास के हमलों की स्पष्ट रूप से निंदा की है तथा यह त्रासदी उस समय और बढ़ गई है जब इज़राइल उस आबादी से बदला लेने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो काफी हद तक असहाय होने के साथ-साथ निर्दोष भी है।
उन्होंने अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ में लिखे एक लेख में यह भी कहा कि उनकी पार्टी का लंबे समय से यह रुख रहा है कि इज़राइल के साथ सह-अस्तित्व में एक संप्रभु, स्वतंत्र और सुरक्षित फलस्तीन राष्ट्र के लिए सीधी बातचीत हो।
सोनिया गांधी ने कहा “मानवता अब इम्तिहान के दौर से गुजर रही है”।
उन्होंने कहा, “इजराइल पर क्रूर हमलों से हम सामूहिक रूप से दुखी हुए थे। अब हम सभी इजराइल की असंगत और समान रूप से क्रूर प्रतिक्रिया से दुखी हो गए हैं। हमारी सामूहिक अंतरात्मा के जागने से पहले और कितनी जानें जाएंगी?”
उन्होंने कहा कि सात अक्टूबर, 2023 को हमास ने इज़राइल पर एक क्रूर हमला किया, जिसमें एक हजार से अधिक लोग मारे गए और 200 से अधिक लोगों का अपहरण कर लिया गया था। उन्होंने कहा कि जान गंवाने वालों में से ज्यादातर आम नागरिक थे।
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख ने कहा, “इजराइल के लिए अभूतपूर्व, अप्रत्याशित यह हमला विनाशकारी था। कांग्रेस का दृढ़ता से मानना है कि सभ्य दुनिया में हिंसा का कोई स्थान नहीं है और अगले ही दिन हमने हमास के हमलों की स्पष्ट रूप से निंदा की।”
सोनिया गांधी ने कहा कि यह त्रासदी गाजा में और उसके आसपास इजराइली सेना के “अंधाधुंध अभियानों” के कारण और बढ़ गई है, जिसके चलते बड़ी संख्या में निर्दोष बच्चों, महिलाओं और पुरुषों सहित हजारों लोगों की मौत हो गई है।’’
उन्होंने कहा, “इज़राइल की ताकत अब उस आबादी से बदला लेने पर केंद्रित है जो काफी हद तक असहाय होने के साथ-साथ निर्दोष भी है। “
इजराइल-फलस्तीन पर कांग्रेस का रुख स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि न्याय के बिना शांति नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि डेढ़ दशक से अधिक समय से इजराइल की निरंतर नाकेबंदी ने गाजा को 20 लाख निवासियों के लिए “खुली हवा वाली जेल” में बदल दिया है।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव पर मतदान के दौरान भारत की अनुपस्थिति का कड़ा विरोध करती है, जिसमें गाजा में इजराइली बलों और हमास के बीच ‘तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम के लिए शत्रुता को समाप्त करने’ का आह्वान किया गया था। “
भारत पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘आम नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों को कायम रखने’ के शीर्षक वाले जॉर्डन के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा। इस प्रस्ताव में इजराइल-हमास युद्ध में तत्काल मानवीय संघर्ष-विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने उस प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष-विराम का आह्वान किया गया है, ताकि शत्रुता समाप्त हो सके।