
भोपाल, तीन सितंबर (भाषा) मध्यप्रदेश सरकार ने वित्तीय अनुशासन और सतत दीर्घकालिक वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए शून्य-आधारित बजट (जेडबीबी) प्रणाली और तीन वर्षीय रोलिंग बजट लागू करने का निर्णय लिया है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने यह जानकारी दी।
मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री देवड़ा ने कहा कि यह पहल ‘विकसित मध्यप्रदेश 2047’ के दृष्टिकोण के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगी और अन्य राज्यों के लिए भी आदर्श के रूप में काम करेगी।
उन्होंने कहा कि इसका ध्यान केवल आर्थिक वृद्धि पर ही नहीं, बल्कि रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक न्याय पर भी है।
देवड़ा ने मंगलवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि इस कदम के साथ मध्यप्रदेश इस तरह के सुधार लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श स्थापित किया है।
उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण के अनुरूप सरकार ने अगले पांच साल में राज्य के बजट को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है, जिससे सभी क्षेत्रों में अधिक निवेश और कल्याणकारी योजनाओं में तेज़ी सुनिश्चित होगी।
मंत्री ने कहा कि इस विस्तार के साथ-साथ, सख्त वित्तीय अनुशासन भी लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य तेज़ी से औद्योगिक विकास के साथ समग्र विकास की ओर बढ़ रहा है।
देवड़ा ने कहा कि जेडबीबी और रोलिंग बजट के माध्यम से, प्रत्येक योजना का कठोर मूल्यांकन किया जाएगा। प्रत्येक व्यय सीधे जनता की ज़रूरतों और राज्य की प्राथमिकताओं से जुड़ा होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह 2047 तक एक विकसित भारत और एक विकसित मध्यप्रदेश के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मजबूत आधार प्रदान करेगा।’’
परंपरागत रूप से, अधिकांश राज्य पारंपरिक बजट का पालन करते हैं, जहां आवंटन पिछले व्यय पर आधारित होते हैं।
इसके विपरीत, शून्य-आधारित बजट में प्रत्येक योजना को शुरू से ही अपनी प्रासंगिकता का औचित्य सिद्ध करना होता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि अप्रभावी योजनाओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाए और संसाधनों का महत्तम उपयोग किया जाए।
बयान में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने सुशासन को मज़बूत करने और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए इस प्रणाली को अपनाया है।
रोलिंग बजट प्रणाली के तहत, वार्षिक समीक्षा और समायोजन के साथ वर्ष 2026-27, 2027-28 और 2028-29 के लिए बजट तैयार किए जाएंगे।
मंत्री ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होता है कि नीतियां दूरदर्शी और दीर्घकालिक हों और अल्पकालिक दबावों से मुक्त रहें।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मॉडल कॉरपोरेट क्षेत्र में पहले ही सफल रहा है, और राज्य शासन में इसे अपनाना मज़बूत नीतिगत दूरदर्शिता को दर्शाता है।
वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि बजट का कम से कम 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति उप-योजना के लिए और 23 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति उप-योजना के लिए निर्धारित किया जाएगा। नए दिशानिर्देश वेतन, पेंशन और भत्ते की गणना में पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे।
इसके अतिरिक्त, बजट से इतर व्यय और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के वित्तीय प्रभाव को अब राज्य के बजट में शामिल किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और साथ ही राजकोषीय अनुशासन और जन कल्याण सुनिश्चित होगा।
जहां अधिकांश राज्य पारंपरिक बजट प्रणालियों पर निर्भर हैं, वहीं मध्यप्रदेश के निर्णय को वित्तीय सुधारों में एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
बयान में कहा गया है कि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह मॉडल सफल रहा, तो यह केंद्र सरकार और अन्य राज्यों को भी इसी तरह की प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।