संरा महासचिव द्वारा घोषित नए एआई परामर्श निकाय में भारत के प्रख्यात प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ शामिल

संयुक्त राष्ट्र,  कृत्रिम मेधा (एआई) के संचालन में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का समर्थन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस द्वारा घोषित एक नए वैश्विक सलाहकार निकाय में भारत के प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को नामित किया गया है।

एक बयान के अनुसार, बृहस्पतिवार को यहां संयुक्त राष्ट्र प्रमुख द्वारा एआई पर घोषित उच्च-स्तरीय बहुपक्षीय सलाहकार समिति में निकाय, सरकार, निजी क्षेत्र, अनुसंधान समुदाय, नागरिक संस्था और शिक्षा जगत के विशेषज्ञ शामिल हैं। यह समिति जोखिमों पर वैश्विक वैज्ञानिक सहमति बनाने, चुनौतियों, सतत विकास लक्ष्यों के लिए एआई के उपयोग में मदद तथा एआई के संचालन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित है।

परामर्श समिति के सदस्यों में प्रौद्योगिकी पर महासचिव के राजदूत अमनदीप सिंह गिल, इंडिया स्टैक, हेल्थ स्टैक और अन्य डिजिटल सार्वजनिक सामान की अवधारणा रखने वाले एक गैर लाभकारी प्रौद्योगिकी विचार समूह आईएसपीआईआरटी फाउंडेशन के सह-संस्थापक शरद शर्मा और हगिंग फेस, इंडिया में प्रमुख अनुसंधानकर्ता नाजनीन रजनी शामिल हैं।

यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए गुतारेस ने कहा, ‘‘हमारे इस चुनौतीपूर्ण समय में एआई मानवता के लिए असाधारण प्रगति में सहायक हो सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संकट का अनुमान लगाने और उनका समाधान करने से लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं एवं शिक्षा सेवाओं को शुरू करने तक, एआई सभी स्तरों पर सरकारों, नागरिक संगठन और संयुक्त राष्ट्र के काम के दायरे को बढ़ा सकता है तथा विस्तारित कर सकता है।’’

गुतारेस ने कहा कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए एआई पुरानी प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने और उन लोगों तक सीधे सेवाएं पहुंचाने की संभावना प्रदान करता है जहां जरूरतें बड़ी हैं और जिन्हें उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है।

प्रौद्योगिकी पर महासचिव के दूत के रूप में नियुक्ति से पहले अमनदीप सिंह गिल जिनेवा के ‘ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एंड डेवलपमेंट स्टडीज’ में स्थित ‘इंटरनेशनल डिजिटल हेल्थ एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च कोलैबोरेटिव (आई-डीएआईआर)’ परियोजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) थे।

इससे पहले वह डिजिटल सहयोग पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की उच्च-स्तरीय समिति (2018-2019) के कार्यकारी निदेशक और सह-प्रमुख थे।

गिल जिनेवा में निरस्त्रीकरण सम्मेलन (2016-2018) में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि थे।

शरद शर्मा ने टेल्टियर टेक्नोलॉजीज की सह-स्थापना भी की, जो एक वायरलेस इंफ्रास्ट्रक्चर स्टार्टअप है जो अब सिस्को का हिस्सा है। उन्होंने भारत के पहले आईपी-केंद्रित कोष, ‘इंडिया इनोवेशन फंड’ की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की वित्तीय और नियामक प्रौद्योगिकी समिति के सदस्य रहे हैं और ‘एसेट टोकनाइजेशन’ पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) की विशेषज्ञ समिति और जी20 के विचार समूह थिंकटैंक20 (टी20) समूह के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर कार्यबल के अध्यक्ष रहे हैं।

नाज़नीन रजनी हगिंग फेस में मुख्य अनुसंधानकर्ता रही हैं, जो ’एआई सेफ्टी एंड एलाइनमेंट’ में विशेषज्ञता रखती हैं। उन्हें लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) की मजबूती और मूल्यांकन में एक विशेषज्ञ और विचारक नेता के रूप में पहचाना जाता है। हगिंग फेस में अपने कार्यकाल से पहले नाज़नीन ने ‘सेल्सफोर्स रिसर्च’ में सम्मानित अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लैंगिक रूप से संतुलित, भौगोलिक रूप से विविध समूह वर्ष के अंत तक प्रारंभिक सिफारिशें जारी करेगा और 2024 की गर्मियों तक अंतिम सिफारिशें जारी करेगा। सिफारिशें सितंबर 2024 के संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में शामिल होंगी, जिसमें विश्व के नेता भाग लेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन एआई के संभावित नुकसान का दायरा गलत सूचना और दुष्प्रचार, पूर्वाग्रह और भेदभाव का गहरा होना, निगरानी और निजता के उल्लंघन, धोखाधड़ी और मानवाधिकारों के अन्य उल्लंघन तक फैला है।’’

गुतारेस ने कहा, ‘‘यह पहले से ही स्पष्ट है कि एआई का दुर्भावनापूर्ण उपयोग संस्थानों में विश्वास को कमजोर कर सकता है, सामाजिक एकजुटता को कमजोर कर सकता है और लोकतंत्र को ही खतरे में डाल सकता है।’’