तियानजिन, एक सितंबर (भाषा) रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में कहा कि यूक्रेन को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल करने के पश्चिमी देशों के निरंतर प्रयास यूक्रेन के साथ संघर्ष के मुख्य कारणों में से एक हैं।
रूसी समाचार एजेंसी ‘तास’ की खबर के अनुसार, पुतिन ने दावा किया कि यह संकट मुख्यतः ‘‘2014 में यूक्रेन में हुए तख्तापलट के कारण उत्पन्न हुआ, जिसे पश्चिम के दशों ने उकसाया था’’।
उन्होंने कहा, ‘‘संकट का दूसरा कारण यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के पश्चिमी देशों के निरंतर प्रयास हैं। जैसा कि हम बार-बार जोर देते रहे हैं कि यह रूस की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है।’’
फरवरी 2014 में यूक्रेन की राजधानी कीव में प्रदर्शनकारियों और सरकारी बलों के बीच घातक झड़पों के परिणामस्वरूप तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को पद से हटा दिया गया था।
रूस के राष्ट्रपति के अनुसार, ‘‘2014 में हुए तख्तापलट के कारण देश के उस राजनीतिक नेतृत्व को हटा दिया गया जिसने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने का समर्थन नहीं किया था।’’
पुतिन रविवार को 10 सदस्यीय एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यहां पहुंचे। बाद में उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा आयोजित उद्घाटन भोज में भाग लिया।
एससीओ शिखर सम्मेलन में उनकी उपस्थिति से रूस-यूक्रेन संघर्ष, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा युद्धविराम के असफल प्रयासों और रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर भारी शुल्क लगाने के दबाव जैसे विषयों पर ध्यान आकृष्ट हुआ।
एससीओ की स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी। शुरुआत में इसमें छह देश शामिल थे: रूस, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान।
भारत और पाकिस्तान 2017 में इसमें शामिल हुए। इसके बाद 2023 में ईरान और 2024 में बेलारूस इसमें शामिल हुए।