दूध अपने आप में सम्पूर्ण आहार है। आज के समय में मेट्रो शहरों में ताजा दूध मिलना संभव नहीं है क्योंकि अधिकतर दूध आस पास के शहरों से एकत्रा कर पाश्चराइज होकर थैलियों के जरिए मेट्रो सिटीज में पहुंचता है।
छोटे शहरों और गांवों में तो अभी तक लोग ताजा दूध ही पीते हैं क्योंकि वहां पर गाय, भैंसों को घरों में पाला जाता है और ताजा दूध निकालकर अतिरिक्त दूध बेचा जाता है। जिन लोगों के घरों में दूध देने वाले जानवर नहीं होते, वे इन लोगों से दूध खरीदते हैं। अब प्रश्न उठता है कि दूध का सेवन कैसे किया जाए?
दूध का सेवन दूध उबाल कर ही करें। गुनगुना होने का इंतजार करें या दूध औटा कर गुनगुना कर घूंट घूंट कर पिएं।
दूध की मात्रा क्षमतानुसार लें। बच्चों को दिन भर में 1 किलो दूध दिया जा सकता है। स्वस्थ व्यक्ति भी दिन भर में 1 किलो दूध का सेवन कर सकता है।
दूध कभी भी शीघ्रता से न पिएं। आराम से शांत भाव से दूध पिएं। भैंस के दूध को हमेशा उबालकर ठंडा कर पिएं। दूध को अधिक देर तक कच्चा नहीं रखना चाहिए। इसमें कीटाणु शीघ्रता से पनपते हैं।
दूध को शीघ्र उबालना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
दूध को तांबे के बर्तन में न रखें। बुखार, कफ वाली खांसी, पेट दर्द वाले रोगियों को दूध नहीं पीना चाहिए। दूध में खटास आने पर दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। मांस, मछली, शराब, मूली, उड़द, मूंग के बाद दूध का सेवन न करें। इससे त्वचा रोग और कुष्ठ रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। दूध बिना चीनी का पीना ही लाभदायक होता है। पेट में कीडे़ यदि हों तो उन दिनों दूध का सेवन न करें। दूध का सेवन तले हुए भोज्य पदार्थो, नमकीन, खट्टे भोज्य पदार्थो के साथ न करें। इससे भी त्वचा रोग उत्पन्न होने की संभावना रहती है। वैसे दूध अपने आप में आरोग्यकारी, स्फूर्तिवर्द्धक शक्तिवर्द्धक होता है।