कच्छ में स्वच्छ ऊर्जा का नया केंद्र, अंबानी-अदाणी ने किया अरबों का निवेश

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नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) गुजरात के कच्छ रण में पाकिस्तान की सीमा के पास की एक विशाल बंजर भूमि भारत की स्वच्छ ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं का केंद्र बन गई है, जिसने उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अदाणी से कई अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया है।

पाकिस्तान सीमा के पास के इस सूखे और बंजर इलाके के लिए सबसे पहले अदाणी समूह ने अपनी बड़ी योजनाओं का ऐलान किया था। उनका खावड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क 538 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो पेरिस शहर से करीब पांच गुना बड़ा है।

इसे दुनिया की सबसे बड़ी हरित ऊर्जा परियोजना बताया जा रहा है, जिसका लक्ष्य सौर और पवन ऊर्जा के जरिए 30 गीगावाट बिजली पैदा करना है।

अदाणी समूह ने खावड़ा में 2022 में काम शुरू किया था और फरवरी 2024 तक राष्ट्रीय ग्रिड में पहली बिजली की आपूर्ति भी शुरू कर दी।

दूसरी ओर, मुकेश अंबानी ने पिछले साल अगस्त में रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना बैठक में कच्छ में अपनी स्वच्छ ऊर्जा परियोजना की घोषणा की थी। इस साल की बैठक में उनके सबसे छोटे बेटे अनंत अंबानी ने और भी जानकारी दी।

अनंत अंबानी ने 29 अगस्त को कहा, ”गुजरात के कच्छ में हम दुनिया की सबसे बड़ी एकल-स्थल सौर ऊर्जा परियोजनाओं में से एक विकसित कर रहे हैं, जो 5.5 लाख एकड़ बंजर भूमि में फैली है। यह सिंगापुर के आकार से तीन गुना बड़ी है। परियोजना के चरम समय में हम हर दिन 55 मेगावाट के सोलर मॉड्यूल और 150 मेगावाट-घंटे के बैटरी कंटेनर स्थापित करेंगे। यह दुनिया की सबसे तेज सौर ऊर्जा स्थापनाओं में से एक होगी। यह एकल स्थल आने वाले दशक में भारत की लगभग 10 प्रतिशत बिजली की जरूरतों को पूरा कर सकता है।”

उन्होंने जिस तरह से अपनी परियोजना का ब्यौरा दिया, उससे यह साफ लगा कि वह इसकी तुलना अदाणी समूह की परियोजना से नहीं करना चाहते थे। लेकिन अगर आंकड़ों को देखें, तो 5.5 लाख एकड़ जमीन 2,225 वर्ग किलोमीटर के बराबर होती है, जबकि सिंगापुर का क्षेत्रफल 735.7 वर्ग किलोमीटर है।

रिलायंस ने अभी तक यह नहीं बताया है कि इस परियोजना से कुल कितनी बिजली पैदा होगी या यह कब तक पूरी होगी। वहीं, अदाणी ने पहले ही बताया था कि उनकी खावड़ा परियोजना 538 वर्ग किलोमीटर में फैली है।

कच्छ में अरबों डॉलर का निवेश आकर्षित होने का मुख्य कारण यह है कि यह भारत के उन क्षेत्रों में से एक है जहां सबसे अधिक सौर विकिरण (सोलर रेडिएशन) मिलता है। यहां प्रतिदिन औसतन 5.5 से 6.0 किलोवाट-घंटे प्रति वर्ग मीटर सौर ऊर्जा प्राप्त होती है (लगभग 2,060 से 2,100 किलोवाट-घंटे प्रति वर्ष)।

यहां साल भर में 300 से अधिक दिन धूप वाले होते हैं, जिससे यह क्षेत्र निरंतर और बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए बेहद उपयुक्त बन जाता है।

कच्छ में बड़े पैमाने पर फैली बंजर और अनुपजाऊ जमीन है, जो यूटिलिटी-स्केल (बड़े स्तर की) सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए बेहद उपयुक्त मानी जाती है।

चूंकि यह जमीन कम आबादी वाले इलाकों में है और कृषि कार्य के लिए उपयोग में नहीं आती, इसलिए यहां लोगों के विस्थापन की समस्या बहुत कम होती है और भूमि अधिग्रहण की लागत भी काफी हद तक घट जाती है।

अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अनुसार वहां 5.6 गीगावाट की क्षमता पहले से ही चालू हो चुकी है और 2029 तक यह 30 गीगावाट तक पहुंच जाएगी। दोनों समूहों की योजनाएं सिर्फ बिजली बनाने तक सीमित नहीं हैं। वे सौर मॉड्यूल, बैटरी और हरित हाइड्रोजन जैसे उपकरण भी खुद बनाना चाहते हैं। इस मामले में भी अदाणी समूह फिलहाल आगे हैं, जिसने सौर मॉड्यूल और पवन टर्बाइन बनाने का काम शुरू कर दिया है।

सरकारी कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने भी खावड़ा में 4.75 गीगावाट की सौर क्षमता लगाने की योजना बनाई है।